भारत का बजट: परंपरा और बदलाव

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भारत का बजट: परंपरा और बदलाव
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यह लेख भारत के आम बजट की परंपराओं और बदलावों पर प्रकाश डालता है। हलवा सेरेमनी, लॉक-इन पीरियड, बजट की तारीख की परिवर्तन और बजट पेश करने के समय के परिवर्तन जैसे विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लोकसभा में आम बजट पेश करेंगी। वे 1 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट प्रस्तुत करेंगी। बजट 1 फरवरी को जरूर पेश किया जाएगा, लेकिन इसकी तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं। बजट से पहले इसे बनाने वाले खास अफसरों को बाहर की दुनिया से अलग रखा जाता है, हलवा सेरेमनी होती है। ऐसी ही कई रस्में लंबे समय से चली आ रही हैं। जबकि कुछ परंपराओं में बदलाव भी किया गया है, जैसे- बजट पेश करने का समय और तारीख। बजट में ये बदलाव क्या हैं

और क्यों किए गए, पढ़िए ऐसे सभी सवालों के जवाब इस स्टोरी में। बजट में हलवा बनाने की रस्म क्या है? बजट से पहले हलवा बनाने की रस्म होती है। इस बार यह 24 जनवरी को आयोजित की गई। हर साल बजट से पहले हलवा सेरेमनी रखी जाती है। जो अधिकारी इस बजट को तैयार करते हैं, उन्हें इसे तैयार करने पर 'हलवा' परोसने की रस्म अदा की जाती है। इसी की साथ 'लॉक-इन पीरियड' शुरू हो जाता है। दरअसल, भारत में किसी भी शुभ कार्य के दौरान मुंह मीठा कराने की परंपरा है। बजट के दस्तावेज तैयार हो जाने की खुशी में हलवा कढ़ाहे में बनाया जाता है और वित्त मंत्री की मौजूदगी में हलवा बजट बनाने वाले अफसरों और कर्मचारियों में बांटा जाता है। इसे हलवा सेरेमनी कहा जाता है। बजट बनाने वाले अधिकारियों को लॉक करके क्यों रखा जाता है? बजट बनाने वाली टीम के अधिकारियों को लोकसभा में बजट पेश होने से पहले वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में एक सप्ताह के लिए बंद रखा जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि बजट से जुड़े कोई दस्तावेज लीक न हो जाएं। पहले यह अवधि दो सप्ताह की थी। बजट बनाने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से मोबाइल फोन भी ले लिए जाते हैं। इस अवधि में उन्हें किसी से मिलने की अनुमति नहीं होती है। वे अपने घर भी नहीं जा सकते हैं। 1 फरवरी को ही क्यों पेश किया जाता है आम बजट? भारत सरकार का केंद्रीय बजट पहले 1 फरवरी के दिन पेश नहीं किया जाता था। बजट की यह तारीख आमतौर पर 28 फरवरी यानी फरवरी माह की अंतिम तारीख होती थी, लेकिन यह परंपरा साल 2017 में बदल गई। मोदी सरकार के तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने फरवरी अंत की बजाय 1 फरवरी को पेश करने की परंपरा शुरू की। इस तरह ब्रिटिशकाल के समय से चली आ रही प्रथा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 2017 में बदल गई। तारीख बदलने की क्या थी वजह? वित्त मंत्री ने बजट की तारीख 1 फरवरी करने के पीछे दो कारण बताए। पहला, बजट पेश करने और लागू होने के बीच कम समय अंतराल का होना। बजट मई माह में लागू होता है। ऐसे में 28 फरवरी की बजाय 1 फरवरी को बजट पेश होने से अंतराल और ज्यादा मिल जाता है। दूसरा, आम बजट में रेल बजट का विलय होना। पहले रेल बजट आम बजट से अलग पेश किया जाता था। अरुण जेटली ने कहा था कि विलय के कारण आम बजट को लागू होने के लिए नए नियम लागू करने और नए बदलाव के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। बजट पेश करने का समय बदलने के पीछे क्या है वजह? अंग्रेजों की सुविधा के लिए आम बजट पहले शाम 5 बजे पेश किया जाता था। इसका कारण यह था कि जब भारत में शाम के 5 बजे होते थे, तब ब्रिटेन में दोपहर के करीब 12 बजे होता था।

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