साल 2024 में भारत के ज्यादातर पड़ोसी देशों में राजनीतिक उथल-पुथल मची रही. कई ऐसी घटनाएं हुईं जिससे भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में कड़वाहट महसूस की गई. बांग्लादेश से लेकर मालदीव तक ने भारत को कई मौकों पर मुश्किल में डालने का काम किया. भारत के वीदेश नीति में पड़ोसी देशों को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है.
साल 2024 में भारत के ज्यादातर पड़ोसी देशों में राजनीतिक उथल-पुथल मची रही. कई ऐसी घटनाएं हुईं जिससे भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में कहीं-कहीं कड़वाहट महसूस की गई.
इस नीति को औपचारिक तौर पर 'नेबरहुड फर्स्ट' या 'पड़ोसी सबसे पहले' के तौर पर जाना गया. हालांकि इस नीति की अवधारणा 2008 में सामने आई थी. भारत लगातार बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से शिकायत कर रहा है कि वह हिंदुओं समेत बाक़ी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पा रही है. वो कहते हैं, "ये वो लोग हैं जो चाहते थे कि बांग्लादेश कभी पाकिस्तान से अलग ना हो, ऐसे में उनका पाकिस्तान की तरफ झुकाव बहुत सामान्य है, वहीं चीन के संदर्भ में देखें तो शेख हसीना की सरकार और अब की सरकार में कोई खास फ़र्क नहीं है. मोहम्मद यूनुस भी चीन के साथ संतुलन साध रहे हैं."
प्रोफेसर संजय भारद्वाज का मानना है कि नेपाल, भारत और चीन के बीच संबंधों में संतुलन बनाकर रखना चाहता है. अपने पहले शपथग्रहण समारोह में नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को बुलाया था. वहीं, दूसरी तरफ साल 2024 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के आयोजन को लेकर दोनों देशों के बीच घमासान रहा.
उनके सत्ता में आने के बाद भारत और मालदीव के संबंधों में तनाव चरम पर आ गया था और ये साल 2024 में भी जारी रहा. वो कहते हैं, "मालदीव की सरकार चीन की तरफ झुकती रही है, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि भारत बिल्कुल ही बैकफुट पर आ गया, जो भारत के लिए चिंता की बात है. मुइज्जु के आने से वहां चीन की मौजदूगी बढ़ी है, जो खतरे की घंटी की तरह है."
90 के दशक में तालिबान जब सत्ता में आए थे तो भारत ने उनको मान्यता नहीं दी थी. लेकिन, 2001 में 9/11 हमलों के बाद अमेरिकी सेना अफ़ग़ानिस्तान में आ गई और तालिबान की सत्ता चली गई. रॉबिंद्र सचदेव कहते हैं, "साल 2024 में क़तर के जरिए भारत और अफ़ग़ानिस्तान के बीच बातचीत बढ़ी है. दोनों देशों ने पर्दे के पीछे रहकर काफी होमवर्क किया है, जिसके नतीजे साल 2025 में देखने को मिलेंगे."
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