भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024-25 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया है, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की दर धीमी होने की बात स्वीकार की गई है।
भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में वित्त वर्ष 2024-25 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। सर्वेक्षण में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को धीमा होने की बात स्पष्ट रूप से स्वीकार की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था केवल 6.4 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जो उम्मीदों से काफी कम है। पिछले वर्ष के सर्वेक्षण में 6.5 से सात प्रतिशत विकास दर का अनुमान लगाया गया था, और भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान 6.
6 प्रतिशत था। पिछले वित्तीय वर्ष (2023-24) में भारत ने 8.2 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की थी।\सर्वेक्षण में सरकार ने कहा है कि 2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिर विकास दिखाई दिया, लेकिन यह विकास अलग-अलग क्षेत्रों में असमान रहा। सरकार ने आगे कहा है कि दुनिया की इस स्थिति के बीच भारत के विकास की दर स्थिर रही है। कृषि और सेवा क्षेत्रों में विकास देखा गया और ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ी, लेकिन उत्पादन क्षेत्र पर दबाव नजर आया। सर्वेक्षण ने इसके लिए कमजोर वैश्विक मांग और देश के अंदर 'मौसमी परिस्थितियों' को जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट के अनुसार अगले वित्तीय वर्ष (2025-26) में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संभावनाएं संतुलित हैं। लेकिन यह पूर्वानुमान उपभोक्ताओं में आत्मविश्वास के बढ़ने, खाद्य महंगाई के कम होने आदि जैसी कई उम्मीदों पर टिका है। साथ ही यह भी कहा गया है कि भारत को मूलभूत स्तर पर ढांचागत सुधार लाने होंगे, अर्थव्यवस्था में और डीरेगुलशन करना होगा यानी नियम-कानूनों से जुड़ी बाधाएं हटानी होंगी और अपनी वैश्विक प्रतियोगितात्मकता को बढ़ाना होगा।\वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार प्रकाश चावला के मुताबिक सर्वेक्षण का बड़ा संदेश है उसका डीरेगुलशन पर जोर देना है। चावला ने डीडब्ल्यू को बताया, 'भारत के नीति निर्माताओं को यह लग रहा है कि जिस धीमी गति से देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, उससे देश की महत्वाकांक्षाएं पूरी नहीं होंगी। विकास दर को तेज करने के लिए अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को श्रम और भूमि अधिग्रहण जैसे क्षेत्रों में सुधार लाने की जरूरत है।' चावला ने आगे कहा कि सर्वेक्षण यह कहना चाह रहा है कि इन्हीं सुधारों के ना होने की वजह से भारत में उत्पादन क्षेत्र में, जो विकास की गति बढ़ाने के लिए और अच्छी नौकरियां देने के लिए भी जरूरी है, कमजोरी दिख रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बजट में इस तरफ झुकाव नजर आ सकता है
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