इतिहासकारों के अनुसार, जेल में बंद क्रांतिकारियों ने जेल के भीतर से ही आंदोलन जारी रखा और 2 अक्टूबर 1942 को जेल का दरवाजा तोड़कर बाहर निकले. घंटाघर पर जाकर महात्मा गांधी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया.
खरगोन. 9 अगस्त 1942 को बंबई से महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया भारत छोड़ो आंदोलन निमाड़ क्षेत्र में भी जोश और उत्साह के साथ फैल गया. इस आंदोलन में निमाड़ के 68 क्रांतिकारी शामिल थे, जिन्हें गिरफ्तार कर खरगोन की मंडलेश्वर जिला जेल में बंद कर दिया गया था. हालांकि, जेल की चारदीवारी भी स्वतंत्रता की इस लड़ाई को रोक नहीं सकी. इतिहासकारों के अनुसार, जेल में बंद क्रांतिकारियों ने जेल के भीतर से ही आंदोलन जारी रखा और 2 अक्टूबर 1942 को जेल का दरवाजा तोड़कर बाहर निकले.
चूंकि, उस समय यह क्षेत्र होलकर राज्य का हिस्सा था और होलकर प्रशासन ब्रिटिश गवर्नमेंट में प्रभाव में था. उस दौरान मंडलेश्वर जिला हुआ करता था. जेल का दरवाजा तोड़ने की रणनीति राजदीप बताते हैं कि क्रांतिकारियों ने 2 अक्टूबर 1942 को गांधीजी का जन्मदिन जेल में मनाने की परमिशन जेलर से मांगी. जेलर द्वारा आवेदन होलकर प्रशासन को भेजा गया. लेकिन, अनुमति नहीं मिली. तब क्रांतिकारियों ने रणनीति बनाई और 2 अक्टूबर की शाम 7 बजे नारे लगाते हुए पश्चिमी दिशा में बना लकड़ी का विशाल दरवाजा तोड़कर बाहर आ गए.
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