भारत: जेल में बंद अमृतपाल की जीत के क्या हैं मायने

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भारत: जेल में बंद अमृतपाल की जीत के क्या हैं मायने
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भारतीय जेल में बंद खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह ने पंजाब की खडूर साहिब सीट से लोकसभा चुनाव जीता है. उनके गांव में जश्न का माहौल है.

में कुछ ऐसे भी उम्मीदवार जीते हैं जिनपर सरकार की करीब से नजर रहेगी. उनमें शामिल हैं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा और खालिस्तानी नेतासरबजीत सिंह खालसा ने पंजाब की फरीदकोट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और उन्होंने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार करमजीत सिंह अनमोल को 70 हजार से अधिक वोटों से हराया.

खालिस्तान आंदोलन पिछले साल कूटनीतिक तूफान के केंद्र में था, जब कनाडा ने भारतीय खुफिया एजेंसी पर एक सिख नेता की हत्या के आरोप लगाए और अमेरिका में एक सिख नेता की हत्या की साजिश नाकाम हो गई. इन दावों को भारत सरकार ने खारिज कर दिया था. 42 साल के सरबजीत सिंह पेशे से बिल्डर और गांव के नेता हैं. उन्होंने कहा,"पूरे पंजाब में सबसे बड़ी समस्या ड्रग्स की है. मुझे उम्मीद है कि वह जल्द ही जेल से बाहर आएंगे और अपना अभियान फिर से शुरू करेंगे."के बाद से ही उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है. लोगों को उम्मीद है कि वह अपने समुदाय की समस्याओं को हल करेंगे. अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह ने कहा कि उनका बेटा केवल पंजाब के युवाओं को उनके धर्म में वापस लौटने में मदद करना चाहता था.

अमृतपाल को पिछले साल गिरफ्तार किया गया था, जब उन्होंने और उनके सैकड़ों समर्थकों ने एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया थापंजाब की फरीदकोट सीट से इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे की जीत हुई है. बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की है.को हुए 40 साल हो पूरे हो गए हैं. ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर 6 जून को दल खालसा और कुछ सिख संगठनों ने अमृतसर बंद का एलान किया है. इस एलान के बाद अमृतसर पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं.

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