Indonesia Lizard Farming: केरतासुरा जैसे गांवों में छिपकलियों ने ना सिर्फ लोगों को आय का एक स्रोत दिया बल्कि कई छोटे उद्योग भी खुल गए हैं. शिकारियों को प्रति किलोग्राम छिपकलियों को पकड़ने पर लगभग 42,000 इंडोनेशियाई रुपयों की कमाई होती है.
केरतासुरा जैसे गांवों में छिपकलियों ने ना सिर्फ लोगों को आय का एक स्रोत दिया बल्कि कई छोटे उद्योग भी खुल गए हैं. शिकारियों को प्रति किलोग्राम छिपकलियों को पकड़ने पर लगभग 42,000 इंडोनेशियाई रुपयों की कमाई होती है.
ये देश है इंडोनेशिया, जो भारत का खास दोस्त और ASEAN का सदस्य है. वेस्ट और सेंट्रल जावा में इन लोगों को छिपकलियों का शिकारी कहा जाता है.इन लोगों के पास दो मीटर लंबी लकड़ी होती है, जिसकी नोक पर गोंद लगा होता है. ये लोग उससे छिपकली पर प्रहार करते हैं और जब वह उससे चिपक जाती है तो उसे हटाकर बक्से में डाल देते हैं. 8 घंटे में ये लोग करीब 400 छिपकलियां पकड़ लेते हैं. अगर बारिश हो जाए और ज्यादा मच्छर घूमने लग जाएं तो छिपकलियां पकड़ने की संख्या ज्यादा भी हो जाती है.
वेस्ट जावा के सिरेबॉन रीजेंसी के केर्तसुरा गांव में जकार्ता और बांडुंग की तुलना में रहन-सहन काफी कम स्तर का है. जब लोगों ने देखा कि डॉडी की छिपकलियां पकड़ने से अच्छी कमाई हो रही है तो वे भी इस काम में उतर आए. इंडोनेशिया के नेशनल रिसर्च एंड इनोवेशन एजेंसी और मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट एंड फॉरेस्ट्री की पिछले साल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 से 2019 तक इंडोनेशिया ने 79.5 मिलियन से अधिक छिपकलियों का निर्यात किया गया था, जो उस समय की फसल कोटा से काफी अधिक था.इसके अलावा, पर्यावरण मंत्रालय को 2013 से 2019 तक केवल लगभग 1.7 मिलियन कानूनी निर्यात परमिटों की सूचना दी गई. चीन छिपकलियों का एक अहम इंपोर्टर है. इनको अस्थमा को दबाने, खांसी से राहत दिलाने, टीबी और अन्य बीमारियों के इलाज में प्रभावी माना जाता है.
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