भारत में मुसलमान क्यों कर रहे हैं वक्फ बिल का विरोध

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भारत में मुसलमान क्यों कर रहे हैं वक्फ बिल का विरोध
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भारतीय मुसलमानों द्वारा सदियों से दान की गई अरबों रुपये की संपत्ति को नियंत्रित करने वाले दशकों पुराने कानून में संशोधन के प्रस्ताव से देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

,1995 में संशोधन के लिए संसद में पेश किया गया था. इसमें व्यापक बदलाव प्रस्तावित थे, जिससे सरकार को वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने और ऐसी संपत्तियों से संबंधित विवादों को निपटाने का अधिकार मिलेगा.

एक ओर जहां संसद में विपक्षी दल वक्फ बिल का विरोध कर रहे हैं, तो वहीं मुस्लिम संगठन सड़कों पर उतर कर इसका विरोध कर रहे हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बैनर तले कई संगठनों ने पहले भी इसके खिलाफ विरोध जताया था, अब विरोध प्रदर्शनों को राज्य स्तर तक ले जाने की योजना है. इंजीनियर मुहम्मद सलीम ने कहा,"यह बिल मुस्लिम संपत्तियों और उनकी संस्थाओं को व्यवस्थित रूप से कमजोर करने के लिए लाया गया है. यह विधेयक 1995 के मौजूदा वक्फ अधिनियम में व्यापक बदलाव करता है, जिससे सरकार को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में हस्तक्षेप करने का अधिक अधिकार मिल जाता है."

वक्फ संपत्तियां वर्तमान में वक्फ अधिनियम 1995 के अधीन हैं, जो उनके प्रबंधन और प्रशासन के लिए राज्य स्तरीय बोर्डों के गठन को अनिवार्य बनाता है. इन बोर्डों में राज्य सरकार के नामित सदस्य, मुस्लिम विधायक, राज्य बार काउंसिल के सदस्य, इस्लामी विद्वान और वक्फ संपत्तियों के प्रशासक शामिल होते हैं.भारत में सबसे बड़े भूस्वामियों में से एक है. देश भर में कम से कम 8,72,351 वक्फ संपत्तियां हैं, जो 9,40,000 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैली हुई हैं, जिनका अनुमानित मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये है.

भारत में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की समीक्षा के लिए कांग्रेस पार्टी की नेतृत्व वाली पिछली सरकार द्वारा गठित जस्टिस सच्चर कमेटी द्वारा 2006 में पेश रिपोर्ट में वक्फ सुधारों की सिफारिश की गई थी. उन्होंने पाया कि बोर्डों द्वारा अर्जित राजस्व, उनके स्वामित्व वाली बड़ी संख्या में संपत्तियों की तुलना में कम था.

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