यह लेख भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर संचालन और उसके पायलटों द्वारा की जाने वाली चुनौतीपूर्ण उड़ानों पर प्रकाश डालता है।
भारतीय नौसेना के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर है, INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत । दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर से मिग 29 K ऑपरेट कर रहे हैं। भारतीय सेना के लिए फ्रांस से 26 रफाल फाइटर जेट लिए जाने हैं। इन एयरक्राफ्ट को कैरियर से उड़ाने वाले नौसेना के पायलट दुनिया के सबसे बेहतर पायलट है। चुनौती इतनी की सुनकर हैरान हो जाएंगे। वायुसेना के पास तो पूरा 2500 मीटर से 3000 मीटर तक का रनवे होता है। नौसेना के फाइटर पायलट ों के पास सिर्फ 130 मीटर वाला रनवे है। जमीन से फाइटर जेट को उड़ाना और टेकऑफ करना आसान है।
समंदर पर चलते एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरने के लिए खास महारत रखनी होती है। चूक की कोई गुंजाइश नहीं है। एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत और विक्रमादित्य दोनो ही स्की जंप कैरियर है। टेकऑफ के लिए फ्लाइट डेक के एक कोने में 14 डिग्री उठा हुआ रैंप है। डेक पर खड़े एयरक्राफ्ट के इंजन को 350 से 400 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफतार का पावर दिया जाता है। एक बार इंजन रफ्तार पकड़ लेता तब ब्रैक रिलीज किया जाता है। एक बार ब्रेक रिलिज होने के बाद 130 मीटर लंब रनवे से फाइटर उड़ान भरता है। टेकऑफ से ज्यादा लैंडिंग मुश्किल। टेकऑफ फिर भी आसान है लेकिन लैंडिंग सबसे मुश्किल होता है। एयरक्राफ्ट कभी भी कैरियर की तरफ लैंडिंग के मकसद से नहीं आता। लैंडिंग कराने के लिए तो अरेस्टिंग गेयर सिस्टम से जुड़ी तीन केबल होती है। एयरक्राफ्ट में लगे हुक को केबल में फंसाना होता है। एक में हुक फंसा तो ठीक नहीं तो दूसरा है और दूसरे में भी नहीं फंसा तो तीसरा वायर होता है। तीनों मिस हो गए तो फिर टेकऑफ के लिए एयरक्राफट आगे निकल जाता है। नोसेना के पूर्व प्रवक्ता कैपटन डी के शर्मा का कहना है कि सबसे जटिल काम होते है लैंडिंग। जितनी स्पीड से एयक्राफ्ट को टेकऑफ लेना होता है उतनी ही स्पीड लैंड करते वक्त एयरक्राफ्ट की होती है। पायलट एयरक्राफ्ट कैरियर से 2 डिग्री राइट से आता है। पायलट हुक फंसाने के लिए रिलिज करता है
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