भावक - गिरिजाकुमार माथुर की कविता

साहित्य समाचार

भावक - गिरिजाकुमार माथुर की कविता
कवितागीतहिंदी
  • 📰 Amar Ujala
  • ⏱ Reading Time:
  • 26 sec. here
  • 12 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 49%
  • Publisher: 51%

हिंदी हैं हम शब्द शृंखला में आज का शब्द है 'भावक' जिसका अर्थ है भाव, सत्ता, अस्तित्व आदि से युक्त, भावुक, थोड़ा, जरा। इस कविता में गिरिजाकुमार माथुर समाज के अंधेरे, भ्रमपूर्ण और अकेलेपन भरे परिदृश्य को चित्रित करते हैं। वे भीड़, अविश्वास, तर्क और कामुकता जैसे विषयों पर प्रकाश डालते हैं और मानव के भीतर देवता और राक्षस के द्वंद्व को उजागर करते हैं।

' हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- भावक , जिसका अर्थ है- भाव, सत्ता, अस्तित्व आदि से युक्त, भावुक, थोड़ा, जरा। प्रस्तुत है गिरिजाकुमार माथुर की कविता - राहें सभी अंधी हैं, ज़्यादातर लोग पागल हैं चारों तरफ़ शोर है, चारों तरफ़ भरा-पूरा है चारों तरफ़ मुर्दनी है भीड़ और कूड़ा है हर सुविधा एक ठप्पेदार अजनबी उगाती है हर व्यस्तता और अधिक अकेला कर जाती है हम क्या करें : भीड़ और अकेलेपन के क्रम से कैसे छुटें? राहें सभी अंधी हैं ज़्यादातर लोग पागल हैं अपने ही नशे में चूर वहशी हैं या...

कायर हैं थोड़े-से ईमानदार लगते सिर्फ़ मुजरिम हैं हम क्या करें : अविश्वास और आश्वासन के क्रम से कैसे-कैसे छुटें? तर्क सभी अच्छे हैं अंत सभी निर्मम हैं आस्था के वसनों में कंकालों के अनुक्रम हैं प्रौढ़ सभी कामुक हैं जवान सब अराजक हैं वृद्धजन अपाहिज हैं मुँह बाए हुए भावक हैं। हम क्या करें : तर्क और मूढ़ता के क्रम से कैसे छुटें! हर आदमी में देवता है और देवता बड़ा बोदा है हर आदमी में जंतु है जो पिशाच से न थोड़ा है हर देवतापन हमको नपुंसक बनाता है हर पैशाचिक पशुत्व नए जानवर बढ़ाता है हम क्या करें : देवता और...

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

Amar Ujala /  🏆 12. in İN

कविता गीत हिंदी भावक अकेलापन भीड़ अंधेरा भ्रम देवता राक्षस

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

भावक: हम क्या करेंभावक: हम क्या करेंगिरिजाकुमार माथुर की कविता 'भावक' में समाज के अंधे, पागल और निर्मम चेहरे को दर्शाते हुए अपनी चिंताओं को व्यक्त करता है।
और पढो »

भावक शब्द का अर्थ और गिरिजाकुमार माथुर की कविताभावक शब्द का अर्थ और गिरिजाकुमार माथुर की कविताहिंदी हैं हम शब्द श्रृंखला में आज का शब्द 'भावक' है, जिसका अर्थ भाव, सत्ता, अस्तित्व आदि से युक्त, भावुक, थोड़ा, जरा होता है। यह कविता 'भावक' शब्द पर प्रकाश डालती है और जीवन के विभिन्न पहलुओं की चुनौतियों का विश्लेषण करती है।
और पढो »

भावक शब्द शृंखला में गिरिजाकुमार माथुर की कविताभावक शब्द शृंखला में गिरिजाकुमार माथुर की कविताहिंदी हैं हम शब्द शृंखला में आज का शब्द भावक है। इस शब्द के अर्थ भाव, सत्ता, अस्तित्व आदि से युक्त, भावुक, थोड़ा, जरा हैं। गिरिजाकुमार माथुर की कविता राहें सभी अंधी हैं, ज़्यादातर लोग पागल हैं..... के क्रम से हमें भीड़ और अकेलेपन, अविश्वास और आश्वासन, तर्क और मूढ़ता, देवता और राक्षस के क्रम से कैसे छुटें? का उत्तर खोजने का प्रयास करती है।
और पढो »

आज का शब्द: भावक और गिरिजाकुमार माथुर की कविता- राहें सभी अंधी हैं, ज़्यादातर लोग पागल हैंआज का शब्द: भावक और गिरिजाकुमार माथुर की कविता- राहें सभी अंधी हैं, ज़्यादातर लोग पागल हैंaaj ka shabd bhawak girija kumar mathur poetry raahe sabhi andhi hain.आज का शब्द: भावक और गिरिजाकुमार माथुर की कविता- राहें सभी अंधी हैं, ज़्यादातर लोग पागल हैं. Read more about hindihainhum, hindi hain hum, ujaas on amar ujala kavya.
और पढो »

भावक: भावनाओं से युक्त जीवनभावक: भावनाओं से युक्त जीवनगिरिजाकुमार माथुर की कविता में, 'भावक' शब्द का अर्थ भावों, सत्ता और अस्तित्व से प्रेरित जीवन को दर्शाता है। कविता में समाज की अंधेरी राहों, अविश्वास और अकेलेपन की चर्चा की गई है।
और पढो »

सामंथा ने शेयर की ‘इफ’, बोलीं- 'मुझे हमेशा गाइड करती आई है यह कविता'सामंथा ने शेयर की ‘इफ’, बोलीं- 'मुझे हमेशा गाइड करती आई है यह कविता'सामंथा ने शेयर की ‘इफ’, बोलीं- 'मुझे हमेशा गाइड करती आई है यह कविता'
और पढो »



Render Time: 2025-02-13 23:59:18