2020 के बाद यह लगातार पांचवां साल है, जब चीन भारतीयों को कैलाश मानसरोवर जाने से रोक रहा है। अभी भारत से कैलाश मानसरोवर जाने के दो रास्ते हैं। फिलहाल इन दोनों रास्तों पर रोक है। नेपाल के अखबार काठमांडू पोस्ट का दावा है किMount Kailash Mansarovar Yatra Controversy Explained; Follow India China Agreement, Route Options, Fees and Expenditure Details...
2020 के बाद यह लगातार पांचवां साल है, जब चीन भारतीयों को कैलाश मानसरोवर जाने से रोक रहा है। अभी भारत से कैलाश मानसरोवर जाने के दो रास्ते हैं। फिलहाल इन दोनों रास्तों पर रोक है।15 जुलाई 2024 को मोदी सरकार 3.0 ने एक RTI के जवाब में कहा है कि पवित्र धार्मिक स्थल पर जाने से रोककर चीन दो अहम समझौते को तोड़ रहा है। इसके अलावा चीन इसी इलाके में एक मिसाइल साइट्स भी बना रहा है।
न्यूज 18 के मुताबिक मोदी सरकार ने कहा है कि चीन अपने मनमुताबिक एकतरफा फैसला लेकर इन समझौतों को नहीं तोड़ सकता है। अगर चीन को भारत के साथ किए इस समझौते में कोई बदलाव करना है तो वह भारत सरकार के साथ सहमति से ही ऐसा कर सकता है।: कैलाश मानसरोवर जाने के लिए भारत और चीन के बीच दो प्रमुख समझौते हुए हैं…20 मई 2013 को भारत और चीन के बीच लिपुलेख दर्रा मार्ग से होकर कैलाश मानसरोवर जाने के लिए ये समझौता हुआ। उस समय के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच यह समझौता हुआ था। इससे...
किसी भी रास्ते से कैलाश मानसरोवर जाने के लिए भारतीयों के पास चीन का वीजा होना जरूरी है। भारत से कैलाश मानसरोवर जाने के दो रास्ते हैं, जबकि कुछ लोग नेपाल के रास्ते भी यहां जाते हैं। चीन कब्जे वाले तिब्बत पर्यटन ब्यूरो ने भारतीयों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा पैकेज की कीमत एक व्यक्ति के लिए 1800 अमेरिकी डॉलर यानी 1.5 लाख से बढ़ाकर 3000 अमेरिकी डॉलर यानी 2.
चीन यह बताने की कोशिश कर रहा है कि भारत अगर ताइवान, साउथ चाइना शी में चीन के खिलाफ जाएगा तो उसे LAC पर ही इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। 5 जुलाई को पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी रीना जोशी ने बताया है कि 15 सितंबर से लिपुलेख के पास ओल्ड लिपुपास चोटी से कैलाश पर्वत के दर्शन शुरू हो जाएंगे। सीधे कैलाश पर्वत की चोटी यहां से नजर आती है। इसके अलावा यात्री दूरबीन के जरिए भी यहां से कैलाश पर्वत और कैलाश मानसरोवर के खूबसूरत हिस्से को देख सकेंगे। पूजा-पाठ की व्यवस्था भी यहां की जा रही है। ओल्ड लिपुपास जाने के लिए लिपुलेख तक गाड़ी से और फिर कैलाश पर्वत को देखने के लिए लगभग 800 मीटर पैदल चलना होता है।अगस्त 2020 में ‘दि प्रिंट’ ने अपनी एक रिपोर्ट...
1911 और 1921 की जनगणना में कैलाश मानसरोवर वाले इलाके के मेन्सर गांव में 44 घर होने की बात सरकारी रिकॉर्ड में है। 1958 के जम्मू-कश्मीर समझौते के मुताबिक मेन्सर चीन के कब्जे में चला गया। यह इलाका चीन कब्जे वाले लद्दाख तहसील के 110 गांवों में शामिल था।
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