बिहार के आरा से सांसद सुदामा प्रसाद ने भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठाई है।
आरा: बिहार के आरा से सांसद सुदामा प्रसाद ने भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठाई है। सांसद सुदामा प्रसाद का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं। भोजपुरी को संविधान में शामिल करने की मांग लंबे समय से चली आ रही है, और इसके समर्थन में कई धरना-प्रदर्शन भी हुए हैं। सुदामा प्रसाद ने जो स्पीकर को पत्र लिखा है, वो सोशल मीडिया पर वायरल है। शून्यकाल में उठाने की मांग संसद का शीतकालीन सत्र 7 दिसंबर से शुरू होकर 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा
है। सांसद ने स्पीकर से शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाने की अनुमति मांगी है। अगर अनुमति मिलती है तो यह मामला शुक्रवार को संसद में उठ सकता है। नहीं तो अगले सत्र का इंतजार करना होगा। सांसद का पत्र भोजपुरी से जुड़े कई सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों में वायरल हो रहा है। पत्र में सांसद ने भोजपुरी की लोकप्रियता और दुनिया भर में इसके बोलने वालों की संख्या का जिक्र किया है।सांसदों ने की गारो, खासी और भोजपुरी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग सांसद ने लिखा पत्र उन्होंने कहा है कि भोजपुरी दुनिया के कई देशों और भारत के कई राज्यों में बोली जाती है। करीब 25 करोड़ लोग इसे बोलते हैं। सांसद ने यूनेस्को द्वारा भोजपुरी को लुप्तप्राय भाषाओं की सूची में शामिल किए जाने का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी का साहित्य और संस्कृति पर गहरा प्रभाव रहा है और कई साहित्यकारों ने इसे समृद्ध बनाया है। सांसद ने अपने पत्र में महापंडित राहुल सांकृत्यायन, ड
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