- भारत सरकार द्वारा 2015 में आबिदा सुल्तान को भोपाल नवाब का दर्जा देने से विवाद शुरू हुआ\ - आबिदा सुल्तान का पाकिस्तान का नागरिक होने के कारण उन्हें नवाब घोषित नहीं किया गया था, जिससे भोपाल के कई गांवों को शत्रु संपत्ति की श्रेणी में रख दिया गया\ - वकील का दावा है कि साजिदा सुल्तान को भोपाल नवाब बनाना एक अवैध निर्णय था\ - शत्रु संपत्ति कार्यालय ने आबिदा सुल्तान को नवाब घोषित करने में हुई अनियमितता की जांच शुरू की\ - भोपाल नवाब की संपत्ति को लेकर 2007 में विवाद हुआ था, जिसे 2018 में शासन ने नवाब की प्रॉपर्टी मानने का फैसला किया
भोपाल से जुड़े 'शत्रु संपत्ति ' विवाद ने एक बार फिर सैफ अली खान के परिवार को सुर्खियों में ला दिया है. इस विवाद का केंद्र है भारत सरकार का 2015 में आबिदा सुल्तान को भोपाल नवाब का दर्जा देना, जिसने भोपाल , इछावर, और सीहोर के कई गांवों को शत्रु संपत्ति की श्रेणी में ला खड़ा किया था.Advertisement1947 के वक्त नवाब हबीबुल्लाह और बीपी मेनन के गद्दी उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार, बड़े पुत्र या पुत्री को उत्तराधिकारी घोषित किया जाना था.
ये बात रिकॉर्ड में भी है कि नेहरू तक ये बात पहुंची थी तो 2 साल के जद्दोजहद के बाद रास्ता निकाला गया, वो ये कि साजिदा सुल्तान को भारत का नागरिक मानते हुए उन्हें भोपाल नवाब का उत्तराधिकारी घोषित किया जाए. 1962 में 10 और 11 जनवरी को इस अधिसूचना में कहीं नहीं लिखा है कि उन्हें भोपाल का नवाब उत्तराधिकारी भोपाल गद्दी अधिनियम के तहत नियुक्त किया गया है. उन्हें सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 366 के तहत अंतर्गत जारी किया. बस यही लिखा है कि उन्हें भोपाल का नवाब मान्य किया जाए.
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