मणिपुर में सांप्रदायिक दंगे: मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर विरोध

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मणिपुर में सांप्रदायिक दंगे: मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर विरोध
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मणिपुर में हाल ही में सांप्रदायिक दंगे हुए हैं। विरोध 'ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर' (एटीएसयूएम) के द्वारा आह्वान किए गए 'आदिवासी एकता मार्च' के दौरान भड़क उठे। यह विरोध मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में शामिल होने की मांग को लेकर है।

मणिपुर राज्य में हाल ही में सांप्रदायिक दंगों का दौर देखने को मिला है। यह विरोध 'ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर ' (एटीएसयूएम) के द्वारा आह्वान किए गए ' आदिवासी एकता मार्च' के दौरान भड़क उठे। मार्च के दौरान, आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच झड़प शुरू हो गई जिसके बाद पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। \स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों में कर्फ्यू लगाया है। इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और बिष्णुपुर जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है, जो गैर- आदिवासी

बहुल क्षेत्र हैं। वहीं, चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है, जो आदिवासी बहुल हैं। राज्य भर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है, लेकिन ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू हैं। मणिपुर में तैनात सेना ने स्थिति को नियंत्रित करने में मदद के लिए तैनाती की है। सेना के जवान लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर रहे हैं और कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद कर रहे हैं। \इस विरोध का मूल कारण मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में शामिल होने की मांग को लेकर है। मैतेई समुदाय, जो राज्य की आबादी का लगभग 60 प्रतिशत है, का दावा है कि उन्हें राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की अनुमति नहीं है और अवैध घुसपैठियों की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुके हैं जिसमें सरकार को मैतेई समुदाय को एसटी में शामिल करने पर विचार करने को कहा गया है। 19 अप्रैल को हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को चार हफ्ते के समय दिया। \इस फैसले के विरोध में एटीएसयूएम ने मार्च का आयोजन किया था। राज्य की पहाड़ी जनजातियों का कहना है कि अगर मैतेई समुदाय को एसटी की श्रेणी में शामिल किया जाता है तो उनकी जमीन और संसाधनों पर कब्जा कर लिया जाएगा। उनका तर्क है कि जनसंख्या और राजनीतिक प्रतिनिधित्व दोनों में मैतेई का दबदबा पहले से ही है

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