यह खबर मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के दो लोगों को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित होने के बारे में है. जगदीश जोशीला को साहित्य के क्षेत्र में और महेश्वर शैली होल्कर को महिला बुनकरो के उत्थान के लिए पुरस्कृत किया गया है.
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के दो लोगों को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. रविवार की शाम भारत सरकार ने साल 2025 के लिए घोषित पद्मश्री अवॉर्ड की सूची में खरगोन जिले के गोगांवा के जगदीश जोशीला को साहित्य के क्षेत्र में और महेश्वर शैली होल्कर को महिला बुनकर ो के उत्थान के लिए शामिल किया. निमाड़ी को भाषा का दर्जा देने के लिए संघर्ष करने वाले जगदीश जोशीला के घर खुशी का माहौल है. बधाइयां देने वालों की भीड़ लगी है.
साहित्य और निमाड़ी के लिए पहली बार खरगोन और निमाड अंचल से पद्मश्री अवॉर्ड मिलने से खासकर साहित्य से जुड़े लोगों में खुशी है. आजादी के बाद से लोक जनपदीय कवियों की बोली पंजाबी, ब्रज, गुजराती, अवधी को तो भाषा का दर्जा मिला है, लेकिन निमाड़ी को भाषा के रूप में दर्जा देने के लिए जोशीला का संघर्ष जारी है. निमाड़ के प्रसिद्ध साहित्यकार जगदीश जोशीला का कहना है कि ये निमाड़ी और निमाड़ का सम्मान है. पद्मश्री मिलने पर निमाड़ी गद्य के जनक के रूप में प्रसिद्ध और अखिल निमाड़ लोक परिषद के संस्थापक 76 साल के जगदीश जोशीला का मानना है कि मूल रूप से मेरी जन्मभूमि निमाड़ और निमाड़ी बोली की उपलब्धि है. अब तक 56 किताबें मैं लिख चुका हूं. निमाड़ी में 2 उपन्यासों सहित 28 पुस्तकें लिखी हैं. इसके अलावा उन्होंने हिंदी में 28 अन्य पुस्तकें (10 उपन्यास सहित) लिखी हैं. जगदीश जोशीला ने बताया कि निमाड़ी व्याकरण और शब्दकोष भी तैयार किया है. संत सिंगाजी पर अपने 778 पेज के शोध उपन्यास के अलावा, अहिल्या माता पर 2 भागों में उपन्यास लिखा है, जिसका अंग्रेजी में अनुवाद भी हो चुका है. जगदीश जोशीला ने जननायक टंट्या मामा और आदि शंकराचार्य पर भी उपन्यास लिखे हैं. जगदीश जोशीला को पद्मश्री अवॉर्ड मिलने की घोषण पर परिजन, गोगांवा सहित खरगोन और निमाड़ अंचल में खुशी का माहौल है. निमाड के प्रसिद्ध साहित्यकार जगदीश जोशीला ने बताया कि बीते 3 दशक में निमाड़ क्षेत्र के करीब 25 विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों को कई पत्र लिखकर निमाड़ी बोली को निमाड़ी भाषा के रूप में मान्यता दिलवाने का अनुरोध किया था, लेकिन समर्पण के अभाव में ऐसा नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि बुनियादी मुद्दों का राजनीतिकरण कर दिया गया है. जगदीश जोशीला ने कहा कि संत सिंगा जी अपने निमाड़ी साहित्य के माध्यम से 500 सालों से जीवित हैं, लेकिन हम इसे भाषा की मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. देश में निमाड़ी के एकमात्र उपन्यासकार जगदीश जोशीला का जन्म 3 जून 1949 को मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के गोगावा में एक मजदूर परिवार में हुआ था. गोगावा से ही दसवीं तक की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने इंदौर से साहित्य विशारद की उपाधि प्राप्त की. मूल रूप से समाजवादी रहे जगदीश जोशीला ने 1980 में लोकदल, 1985 में जनता पार्टी और 1990 में जनता दल से खरगोन से विधायक का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. निमाड़ी को भाषा का दर्जा मिले, इसके लिए आज भी उनका संघर्ष जारी है
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