यह लेख मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में स्थित विभिन्न प्रसिद्ध शिव मंदिरों के बारे में है।
श्री गुप्तेश्वर महादेव मंदिर : नर्मदा किनारे मौजूद श्री गुप्तेश्वर महादेव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है. कहा जाता है कि, यहां गुफा में मौजूद शिव लिंग विश्व का प्रथम शिव लिंग है, जिसकी स्थापना स्वयं भगवान शिव और माता पार्वती ने की है. आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा परकाया प्रवेश के दौरान उनका स्थूल शरीर छः महीने के लिए यही रखा था. मंदिर खरगोन की धार्मिक नगरी मंडलेश्वर में मौजूद है. श्री छप्पन देव मंदिर : बाबा काल भैरव का यह मंदिर पूरे विश्व श्री छप्पन देव मंदिर के नाम से विख्यात है.
करीब ढाई हजार साल पुराने इस मंदिर में देश के कई राज्यों से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं. यहां आज भी बलि प्रथा निभाई जाती है. मुगल शासक औरंगजेब और उसकी सेना भी बाबा का चमत्कार देख चुकी है. आदि गुरु शंकराचार्य एवं पंडित मंडन मिश्र की शास्त्रार्थी स्थली भी मानी जाती है. यह मंदिर खरगोन जिला मुख्यालय से 50 km दूर मंडलेश्वर में मौजूद है. गोरी सोमनाथ मंदिर: खरगोन के ग्राम चोली गांव में पांच हजार वर्ष पुराना गोरी सोमनाथ मंदिर है. मंदिर पांडव कालीन बताया जाता है. शिवलिंग की ऊंचाई करीब 11 फीट है, इसकी गोलाई इतनी है कि दो व्यक्ति मिलकर भी शिवलिंग को अपनी भुजाओं में पकड़ नहीं सकते. बताया जाता है कि सिर्फ सगे मामा-भांजे ही अपनी भुजाओं में शिवलिंग को पकड़ सकते हैं. सीरवेल महादेव: सतपुड़ा पर्वत की चोटी पर विशाल गुफा के अंदर यह सीरवेल महादेव मंदिर मौजूद है. रामायण कालीन इस मंदिर में शिवलिंग पर हमेशा प्राकृतिक रूप से बूंद-बूंद पानी से अभिषेक होता रहता है. 13 झरने पार करने के बाद भगवान के दर्शन होते हैं. यहां रावण ने अपने दसों सिर शिवजी को अर्पित किए थे. यह मंदिर खरगोन से 55 KM दूर भगवानपुरा क्षेत्र में मौजूद है. श्री सिद्धिविनायक महादेव: यह मंदिर खरगोन के भावसार मोहल्ले में है. लगभग 372 साल पहले एक महिला के गर्भ से स्वयं भगवान ने नाग योनि में जन्म लिया था. यह मंदिर उन्हीं को समर्पित है. श्री सिद्धनाथ महादेव शहर के अधिष्ठाता कहलाते हैं. मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों से भी भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं
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