बड़वानी जिले में बोई गई 1000 एकड़ की गोभी फसल की कीमत नहीं मिलने पर किसानों ने जानवरों को खिलाना शुरू कर दिया है।
मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में करीब 1000 एकड़ क्षेत्र में बोई गई गोभी के दाम नहीं मिलने पर किसान ों ने इसे जानवर ों को खिलाया जा रहा है। ज्यादा बोवनी से अधिक उत्पादन हुआ है और बादल ों के बने रहने के कारण समय के पहले एक साथ पक जाना इसका बड़ा कारण है। जानवर ों को खिलानी पड़ रही फसल बड़वानी जिले के कई हिस्सों में लगाई गई गोभी के दाम नहीं मिलने पर किसान ों ने इन्हें काटकर मंडी में नहीं ले जाने का फैसला किया है। किसान ों ने अपनी फसल जानवर ों को खिलाना आरंभ कर दिया है। अचानक हुई वर्षा और बादल ों के आने के
चलते गोभी की बहुतायत हो गई और किसान इसे जानवर को खिलाने पर मजबूर हो गए। गोभी के दाम 2 से 3 रुपए प्रति किलो भी नहीं मिल रहे और इसकी कटाई और मंडी तक ले जाने का खर्च ज्यादा पड़ रहा है।पूरे जिले में 1000 एकड़ फसल राजपुर के किसान मंसाराम कुशवाहा ने बताया कि जिले में राजपुर बड़वानी क्षेत्र में सब्जियां उगाई जाती हैं। राजपुर विकासखंड के जलगोन, नरावाला अतर संभा, खड़की, लिंबई, दमदमी, शिवाई और मोरगुन आदि स्थानों पर गोभी की फसल लगाई गई थी। इस बार पूरे जिले में करीब 1000 एकड़ क्षेत्र में गोभी की फसल लगाई गई थी।5 रुपए किलो भी नहीं मिल रहे भावएक अन्य किस रामलाल ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ क्षेत्र में पत्ता गोभी लगाई थी लेकिन फसल अच्छी होने के बावजूद ₹5 किलो भी दाम नहीं मिल रहे तो इसे मवेशियों के हवाले कर दी। पौधे खरीदने से लेकर इसे लगाने खाद व कीटनाशक व मजदूरी देने में करीब ₹50000 प्रति एकड़ का खर्च आता है। गोभी की फसल को काटने और उसे मंडी तक ट्रांसपोर्ट करने का खर्च उसे उगाने से ज्यादा पड़ रहा है।इसलिए बेकार हो गई फसलमंसाराम व राजपुर क्षेत्र के अन्य किसानों धन्नालाल कुशवाहा, मनोहर और रमेश आदि ने बताया कि कुछ दिन पूर्व हुई बरसात और बादलों के लगातार बने रहने के चलते गोभी तेजी से पक गई। एक साथ ढेर सारी गोभी बाजार में आने से इसके दाम जमीन पर आ गए। सेंधवा क्षेत्र के सब्जी नीलाम करने वाले करण वर्मा ने बताया कि बादलों के चलते गोभी तेजी से पक गई, और चार से पांच रुपए किलो ही बिकी। सब्जियों का भी हो समर्थन मूल्यकिसानों ने कहा कि अनाज की तरह सब्जियों का भी समर्थन मूल्य घोषित किया जाना चाहिए ताकि ऐसी स्थिति में नुकसान ना हो। उन्होंने बताया कि दरअसल किसान को जिस फसल में ज्यादा लाभ दिखाई देता है, वह उसे बहुतायत में उगाता है।
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