मनमोहन सिंह को याद कर रहे देशवासियों, तीन पीढ़ियों के जेहन में तीन अक्स

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मनमोहन सिंह को याद कर रहे देशवासियों, तीन पीढ़ियों के जेहन में तीन अक्स
मनमोहन सिंहपूर्व प्रधानमंत्रीराष्ट्र
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डॉक्टर मनमोहन सिंह की यादों में देशवासियों के दिलों में उनके योगदानों को याद करते हुए श्रद्धा के दो पुष्प अर्पित कर रहे हैं। तीन पीढ़ियों के जेहन में उनके तीन अक्स हैं - नोटों पर दस्तखत, आर्थिक उदारीकरण के शिल्पकार और प्रधानमंत्री।

डॉक्टर मनमोहन सिंह नहीं रहे. अब उनकी स्मृतियां शेष रह गई हैं. भारत ने एक ऐसा सपूत खो दिया है जो सदियों में एक बार जन्म लेते हैं. डॉक्टर मनमोहन सिंह को आज देश सिर्फ बतौर पूर्व प्रधानमंत्री याद नहीं कर रहा. देशवासियों के सामने पिछले चार-पांच दशक की वो पूरी कहानी रील की तरह घूम रही है...जिसमें डॉक्टर मनमोहन सिंह का काम, राष्ट्र के लिए उनका योगदान , उनका सरल, सहज और कर्मठ व्यक्तित्व लोगों को याद आ रहा है.

रिज़र्व बैंक के गवर्नर से भारत के वित्त मंत्री तक और वित्त मंत्री से प्रधानमंत्री तक इन्हीं तीन तस्वीरों से जुड़ी मनमोहन सिंह की यादें करोड़ों हिंदुस्तानियों के दिलों में हैं.जो आज राष्ट्र के प्रति उनके योगदानों को याद करते हुए श्रद्धा के दो पुष्प अर्पित करना चाहते हैं.तीन पीढ़ियों के जेहन में डॉ. सिंहहिंदुस्तान की तीन पीढ़ियों के ज़ेहन में डॉक्टर मनमोहन सिंह के तीन अक्स हैं.आम हिंदुस्तानी से उनका परिचय नोटों पर दस्तखत की शक्ल में हुआ था. जब हर हिंदुस्तानी की जेब में पड़े करेंसी नोट पर उनके दस्तखत हुआ करते थे . फिर वो दौर आया जब मनमोहन आर्थिक उदारीकरण के शिल्पकार के तौर पर हिंदुस्तानियों की यादों में बस गए. और फिर एक दौर वो भी आया जब मुल्क की सबसे बड़ी कुर्सी पर रहते हुए सूचना के अधिकार से लेकर रोज़गार के अधिकार तक और डीबीटी से आधार तक...जैसे देश की तस्वीर और देशवासियों की तकदीर बदलने वाले फैसले उनकी दस्तखतों से हुए.Advertisementयह भी पढ़ें: मनमोहन सिंह को कैम्ब्रिज में आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा, कई बार चॉकलेट खाकर करते थे गुजाराडॉक्टर मनमोहन सिंह आज अगर देशवासियों की यादों में बसे हैं तो उसकी एक बड़ी वजह उनकी शख्सियत है. वह सहज, सरल, विनम्र तो वे थे ही. उनकी शख्सियत का सबसे मजबूत पहलू थी कर्मठता. ऐसा कर्मयोगी जिन्होंने अपने जीवन पथ में दिए गए हर दायित्व को यज्ञ समझकर पूरा किया.पहले कार्यकाल में बनाए मजबूत कानून21वीं सदी के हिंदुस्तान में मनमोहन सिंह ने मुल्क की बागडोर ऐसे नाजुक हालात में संभाली थी जब देश की सियासत सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने और नहीं बनने देने के मुद्दे पर करवट ले रही थी. सोनिया गांधी की ओर से दी गई उस जिम्मेदारी को डॉ मनमोहन सिंह ने पूरी ईमानदारी और कर्मठता से निभाय

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