मनी ऑर्डर: 150 साल पहले का डिजिटल ट्रांसफर

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मनी ऑर्डर: 150 साल पहले का डिजिटल ट्रांसफर
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यह लेख मनी ऑर्डर सेवा के इतिहास के बारे में बताता है, जो 1880 में डाक विभाग द्वारा शुरू की गई थी और आज के डिजिटल पेटीएम जैसी थी। यह लेख बताता है कि कैसे लोग पहले दूरस्थ परिवारों को पैसे भेजते थे और मनी ऑर्डर के महत्व को उजागर करता है।

150 साल पहले नहीं था फटाफट पैसे भेजने का इंतजाम, मनी ऑर्डर ही था तब का फोन-पे और पेटीएम , बेहद रोचक है इतिहास

भारत में 1854 में चिट्ठियों के आदान-प्रदान के लिए डाक विभाग की स्थापना की गई थी. लगभग 26 साल बाद, डाक विभाग ने आज ही के दिन यानी 1 जनवरी 1880 को मनीऑर्डर सेवा की शुरुआत की थी. हालांकि, वर्तमान में ये सेवा बंद है.रोज करिए 20 रुपये का जुगाड़, 20 साल बाद अकाउंट में होंगे 34 लाख, जान लीजिए ये निंजा टेक्निकसमलैंगिकों की ऐसी कहानी...दिमाग कर देगी सुन्न, ओटीटी पर मौजूद है ये मिस्ट्री क्राइम थ्रिलर सीरीज, imdb पर रेटिंग मिली 7.5आज जब पूरा देश डिजिटल दौर में जी रहा है.

एक दौर ऐसा भी था जब लोग एक दूसरे का हाल चाल जानने के लिए चिट्ठियों का आदान-प्रदान करते थे. दूर बसे परिवार तक रुपया पैसा पहुंचाने का लोकप्रिय जरिया मनी ऑर्डर सेवा होती थी. डाक विभाग की इस सेवा का वर्षों तक बहुतायत में प्रयोग किया गया. गुजरे जमाने की मनीऑर्डर व्यवस्था आज के पेटीएम जैसी थी. इसका इतिहास रोचक है.भारत में 1854 में चिट्ठियों के आदान-प्रदान के लिए डाक विभाग की स्थापना की गई थी. लगभग 26 साल बाद, डाक विभाग ने आज ही के दिन यानी 1 जनवरी 1880 को मनीऑर्डर सेवा की शुरुआत की थी.

जिस भी व्यक्ति को रुपये अपने घर या जिस पते पर भेजने होते थे, वो उस पते के साथ नजदीकी डाकघर में जाकर रुपये जमा कर देता था. हालांकि, इस सेवा के लिए उसे कुछ शुल्क का भी भुगतान करना पड़ता था. जमा किए गए पैसे संबंधित डाकघर में सुरक्षित रहते थे. जब कागजी मनीऑर्डर भेजे गए पते पर पहुंचता, तो डाकिया उस व्यक्ति को नकद राशि दे देता था. 19वीं सदी में यह सेवा एक क्रांति के समान थी, जिसने लोगों के लिए पैसे भेजने का एक सुरक्षित और सरल तरीका प्रदान किया था.

हालांकि, जब भारतीय डाक विभाग की मनीऑर्डर सेवा की शुरुआत नहीं हुई तब उन्हें या खुद रुपये लेकर घर जाना पड़ता था, या फिर जब कोई मजदूर जो कि उनके गांव या आसपास का होता था, उसके जरिए रुपये भिजवाते थे. ऐसे में कई बार जरूरत पर रुपये घर नहीं पहुंच पाते थे. 1 जनवरी 1880 को मनीऑर्डर सेवा शुरू होने के बाद से लोगों की रुपये भेजने की समस्या का समाधान हो गया था. किसी कारण शादी समारोह में न जाने के कारण लोग मनीऑर्डर से शगुन भी भेजने लगे थे.

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