महाकुंभ के बाद भी काशी में श्रद्धालुओं का जनज्वार: मौनी अमावस्या पर पांच लाख दर्शन

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महाकुंभ के बाद भी काशी में श्रद्धालुओं का जनज्वार: मौनी अमावस्या पर पांच लाख दर्शन
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मौनी अमावस्या पर करीब पाँच लाख श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया। महाकुंभ में हुए हादसे के बाद भी श्रद्धालुओं का काशी आना जारी है और प्रशासन भी भीड़ प्रबंधन के लिए सक्रिय है।

मौनी अमावस्या पर लगभग पाँच लाख श्रद्धालु ओं ने काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया। यह संख्या तब रही जब महाकुंभ में हादसे के बाद काशी आ रहे बहुत से श्रद्धालु ओं के वाहनों को काशी की सीमा से दूर रास्ते में जगह-जगहर रोक दिया गया था। जनवरी के 29 दिनों में अब तक 93 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा का दर्शन कर चुके हैं। माना जा रहा है कि मास के शेष दो दिनों में बीते मार्च में बना सर्वाधिक श्रद्धालु ओं का रिकॉर्ड टूट सकता है। मार्च 2024 के 31 दिनों में 95,63,432 श्रद्धालु मंदिर आए थे। यह वर्ष 2023 के

सावन के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए नया रिकॉर्ड बना गई थी। मार्च के अंतिम दिन 31 मार्च को ही 6,36,975 श्रद्धालु मंदिर पहुंचे थे जो पर्वों के अतिरिक्त दिवस का रिकॉर्ड रहा था। हालांकि महाकुंभ में हादसे के बाद चैतन्य प्रशासन की रणनीति से श्रद्धालुओं के जनज्वार में वह धक्कामुक्की जैसा प्रबल प्रवाह बुधवार को नहीं दिखा जो बीते तीन दिनों से काशी की सड़कों पर दृष्टिगोचर हो रहा था। प्रशासन ने गलियों से सड़कों तक यातायात व भीड़ प्रबंधन के उपाय किए। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए कतारबद्ध श्रद्धालु। जागरण शहरी सीमा से दूर बाहरी जनपदों के वाहनों को रोक दिए जाने के साथ शहर समेत मंदिर परिक्षेत्र के चारों ओर लगभग तीन से आठ किमी की दूरी तक दो-पहिया, तीन पहिया वाहनों को भी रोक दिया गया। इससे श्रद्धालुओं को पैदल ही धीरे-धीरे नदी घाटों और बाबा धाम की ओर पहुंचने में लग रहे समय ने भीड़ प्रबंधन का पर्याप्त अवसर व वाहनों की अनुपस्थिति ने पर्याप्त स्थान उपलब्ध करा दिया था। कैंट स्टेशन पर देर रात उमड़े श्रद्धालु, बैरिकेडिंग से रोके गए यात्री कैंट स्टेशन पर बुधवार की रात अचानक बढ़ी श्रदालुओं की भीड़ से स्थानीय प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। रेलवे परिसर में दबाव कम करने के लिए सभी प्रवेश द्वारों को बंद कर दिया। यात्री आश्रय के द्वारा और दूसरे गेट को बंद कराकर वहां सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए। सिर्फ गेट संख्या एक से यात्रियों को प्रवेश दिया गया। कैंट स्टेशन स्थित दूसरे द्वार पर बैरियर लगाकर लोगों को रोकते सुरक्षाकर्मी। ऐसी स्थिति में बड़ी संख्या में लोग कैंट-अंधरापुल मार्ग के किनारे बैठ गए। यात्रियों का दबाव बढ़ने की भनक लगते ही डीसीपी काशी गौरव बंसवाल पहुंच गए। हालात बिगड़ने की भनक लगी तो एडीआरएम लालजी चौधरी और निदेशक अर्पित गुप्ता धमक पड़े। जानकारी के मुताबिक प्रयागराज से बनारस रेलवे स्टेशन पर दो कुंभ स्पेशल ट्रेनें देर रात पहुंची। एक हजार से ज्यादा श्रद्धालु उतरे तो वहां की व्यवस्था नाकाफी हो गई। वहां होल्डिंग एरिया में जितने यात्री ठहर पाए, उन्हें रोका गया। शेष को वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन भेज दिया गया। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार के पास श्रद्धालुओं की भीड़। जागरण श्रद्धालु वाराणसी कैंट पहुंचे तो यहां मुश्किल खड़ी हो गई। क्यों कि कैंट रेलवे स्टेशन के दोनों होल्डिंग एरिया पहले से ही फुल हैं। पुलिस और रेल अधिकारियों के पहुंचने पर धीरे-धीरे यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर एंट्री दी गई। रणनीति बनी कि यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान पर ट्रेनों से रवाना किया जाएगा

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