महात्मा गांधी-नेहरू के बीच वो मतभेद और जाहिर करने का अनूठा तरीका, सीखें आज के नेता

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महात्मा गांधी-नेहरू के बीच वो मतभेद और जाहिर करने का अनूठा तरीका, सीखें आज के नेता
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महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के बीच तमाम मुद्दों पर मतभेद थे. लेकिन दोनों का मतभेद जाहिर करने का तरीका अनूठा था. क्या आज के नेता उससे सबस ले सकते हैं?

महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू दोनों ही खुलकर और एक-दूसरे को चिट्ठियां लिखकर अपने मतभेद अभिव्यक्त करते थे, और इसमें अक्सर शब्दों को लेकर कोई मुरव्वत नहीं होती थी. नेहरू उम्र में गांधी से बीस साल छोटे थे और स्वयं को उनका अनुयायी मानते थे. लेकिन इसके बावजूद ग्राम अर्थव्यवस्था, अहिंसा, धर्म और आर्थिक सोच को लेकर गांधी का जो नजरिया था, उसको लेकर नेहरू के उनके साथ गंभीर मतभेद थे.

गांधी के लिए अहिंसा एक ताकतवर हथियार तथा गैर-समझौता परस्त राजनीति की अभिव्यक्ति थी और वे जानते थे कि इसका पालन हर परिस्थिति में किया जाना चाहिए.‘जब स्वतंत्रता और लोकतंत्र के हाथ निर्दोष लोगों के खून से सन जाते हैं तो वे अपवित्र हो जाते हैं.’, लेकिन उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी का नजरिया इससे कुछ भिन्न था. नेहरू ने लिखा था, ‘हिंसा आधुनिक राज्य एवं सामाजिक व्यवस्था की जीवन रेखा है.

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