महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण में बड़ा बदलाव आ रहा है. उद्धव ठाकरे बीजेपी के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश में हैं.
नई दिल्ली. महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही महाविकास अघाड़ी की राजनीति में जो बदलाव के संकेत मिल रहे थे, उसपर अब मुहर लगती दिख रही है. पांच साल पहले मातोश्री का जो दरवाजा सीएम देवेंद्र फडणवीस के लिए बंद हो गया था, वह खुद चलकर अब उनके दरवाजे तक पहुंच गया है. उद्धव ठाकरे को अब इस बात का मलाल हो रहा है कि उन्होंने बहुत बड़ी गलती कर दी है. इस बीच उनकी नाक के नीचे से जमीन छीनकर शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे लेकर भाग गए. ऐसे में उद्धव एक बार फिर से उसी जमीन को हासिल करने की कवायद में लग गए हैं.
उद्धव ने अपनी खिसकती जमीन को बचाये रखने का जरिया बनाया है वीर विनायक दामोदर सावरकर को. सावरकर को अपना प्रमुख हथियार बनाकर उद्धव एक साथ कई राजनीतिक समीकरण साधने में लग गए हैं. उद्धव ठाकरे वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग फडणवीस से मिले बिना भी कर सकते थे, लेकिन मिलकर क्यों किया? मंगलवार को उद्धव ठाकरे खुद चलकर देवेंद्र फडणवीस के दरवाजे पर पहुंचे थे. खास बात यह है कि इस मुलाकात में शिवसेना नेता संजय राउत उद्धव ठाकरे के साथ नहीं थे. इसके भी मायने निकाले जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि संजय राउत के बहकावे में आकर ही उद्धव ठाकरे बीजेपी से इतना दूर चले गए. हालांकि, एनडीए में वापसी इतनी आसान नहीं है. क्योंकि, इन पांच सालों में उन्होंने बीजेपी को कई दर्द दिए. लेकिन, उद्धव ने अपनी तरफ से दोस्ती की शुरुआत कर गेंद बीजेपी के पाले में छोड़ दिया है. क्या उद्धव ठाकरे अलग राह पर चल दिए हैं? जानकारों की मानें तो बीजेपी जिस तरह की राजनीति करती आई है, वैसी राजनीति महाराष्ट्र में मौजूदा गठबंधन पार्टनर के साथ ज्यादा दिन तक नहीं चलने वाली है. बीजेपी को भी एक विश्वस्त पार्टनर की तलाश है और शिवसेना से सालों से संबंध रहे हैं. इधर, महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन में देरी और अभी तक पोर्टफोलियो का बंटवारा नहीं होना महायुति में खटपट के संकेत दे रहे हैं. क्योंकि, एनसीपी अजित पवार गुट बीजेपी का नेचुरल पार्टनर नहीं है. दोनों में गठबंधन इस समय वक्त की मांग है. दूसरी तरफ, उद्धव ठाकरे को भी समझ में आ गया है कि बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करना उनको हिंदुत्व वाला एजेंडा से काफी दूर लेकर चला गया है. एकनाथ शिंदे गुट ने हिंदुत्व वाला एजेंडा को हाईजैक कर उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका दिया है
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