मान्यताओं के अनुसार माघी पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व जल में भगवान का तेज विद्यमान रहता है, जो पाप का शमन करने वाला होता है। इस दिन नदी में स्नान करने से घोर पाप भी धुल जाते हैं। माघी पूर्णिमा के विषय में कहा जाता है कि जो व्यक्ति तारों के छिपने के पूर्व स्नान करते हैं, उन्हें उत्तम फल की प्राप्ति होती है, जो तारों के छिपने के बाद परन्तु सूर्योदय के पूर्व स्नान करते हैं, उन्हें मध्यम फल की प्राप्ति होती है। जो सूर्योदय के पश्चात स्नान करते हैं वे इस दिन उत्तम फल की प्राप्ति से वंचित रह जाते हैं, उन्हें साधारण फल ही मिलता है। इसलिए इस दिन शास्त्रानुकूल आचरण करते हुए तारों के छिपने के पूर्व स्नान करने का विशेष विधान है।
मान्यताओं के अनुसार माघी पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व जल में भगवान का तेज विद्यमान रहता है, देवताओं का यह तेज पाप का शमन करने वाला होता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व जब आकाश में पवित्र तारों का समूह उपस्थित हो उस समय नदी में स्नान करने से घोर पाप भी धुल जाते हैं। माघी पूर्णिमा स्नान फल - माघी पूर्णिमा के विषय में कहा जाता है कि जो व्यक्ति तारों के छिपने के पूर्व स्नान करते हैं, उन्हें उत्तम फल की प्राप्ति होती है, जो तारों के छिपने के बाद परन्तु सूर्योदय के पूर्व स्नान करते हैं, उन्हें मध्यम...
प्रताप से मनुष्य भवसागर को पारकर, विष्णु धाम में जगह पाता है। तीर्थगमित श्रद्धालु स्नानार्थी को सर्वप्रथम ‘‘त्रिवेण्ये नमः’’ ऐसा कहकर पुष्पांजलि समर्पित करनी चाहिए, तत्पश्चात्ओम्कार का उच्चारण करते हुए जल का स्पर्श करना चाहिए तदनन्तर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान करें,ओम् नमो देव देवाय शिव कण्ठाय दण्डिने। रूद्राय चाप हस्ताय चक्रिणे वेधसे नमः।।गंगा यमुना सरस्वती च सावित्री गरीयसि।। संनिधानी मवन्त्वत्र तीर्थे पाप प्रणाशिनि।।सर्वेषां तीर्थानां मंत्र एष उदाह्यतः।।माघ मास की पूर्णिमा को...
माघी पूर्णिमा स्नान तारों का छिपना पाप का शमन विष्णु धाम
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