माथे पर तिलक: धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व

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माथे पर तिलक: धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व
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हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाना एक परंपरा है जो धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व रखती है. यह ईश्वर के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है और शुभता लाता है. तिलक लगाने से एकाग्रता और ध्यान बढ़ता है और मन शांत रहता है.

Mahakumbh Mela 2025: हिंदुओं के ज्यादातर धार्मिक संस्कारों में माथे पर तिलक या टीका लगाने की परंपरा है. पूजा-पाठ, विवाह, जनेऊ, तिलकोत्सव या अन्य किसी भी आयोजन में माथे पर तिलक लगाया जाता है. तिलक लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लेकिन आप नहीं जानते होंगे कि माथे पर तिलक लगाने का धार्मिक के अलावा सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व भी है. साथ ही तिलक लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन शांत रहता है.

ये भी पढ़ें– Explainer: कैसे मिलती है महामंडलेश्वर उपाधि, जो किन्नर अखाड़े ने ममता कुलकर्णी को दी, क्या है महत्व पीनियल ग्रंथि: आज्ञा चक्र पीनियल ग्रंथि से भी जुड़ा होता है. यह ग्रंथि मेलाटोनिन नामक हार्मोन का उत्पादन करती है, जो नींद और तनाव को नियंत्रित करने में मदद करता है. तिलक लगाने से पीनियल ग्रंथि को उत्तेजना मिलती है, जिससे मेलाटोनिन का उत्पादन बढ़ता है और नींद में सुधार होता है. सकारात्मक ऊर्जा: कुछ लोगों का मानना है कि तिलक लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

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