बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को चेतावनी दी है, और उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया है। मायावती ने कहा है कि उनके जीते जी पार्टी मूवमेंट का कोई भी वास्तविक उत्तराधिकारी तभी होगा जब वह कांशीराम जी के अंतिम सांस तक उनकी शिष्या की तरह पार्टी व मूवमेंट को हर दु:ख तकलीफ उठाकर उसे आगे बढ़ाने में पूरे जी-जान से लगातार लगा रहे।
दीप सिंह, लखनऊ: बसपा प्रमुख मायावती ने पहले अपने भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाला। उसके बाद अब आकाश आनंद को भी चेतावनी दे दी है। कहा है कि मेरे जीते जी पार्टी मूवमेंट का कोई भी वास्तविक उत्तराधिकारी तभी होगा, जब वह कांशीराम जी के अंतिम सांस तक उनकी शिष्या की तरह पार्टी व मूवमेंट को हर दु:ख तकलीफ उठाकर उसे आगे बढ़ाने में पूरे जी-जान से लगातार लगा रहे। अब इसके बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या आकाश आनंद मायावती की उम्मदों पर खरे नहीं उतर पा रहे? मायावती अपने भतीजे पर पूरा
भरोसा नहीं कर पा रहीं? आखिर क्या है इसकी वजह?ऐसे बढ़ा और घटा आकाश का कदमायावती अपने भतीजे आकाश आनंद को आठ साल से लगातार पार्टी में स्थापित करने की कोशिश में जुटी हैं। आकाश सबसे पहले 2017 में सहारनपुर दंगों के दौरान मायावती के साथ नजर आए थे। उसके बाद पार्टी की एक बैठक में पदाधिकारियों से उनका परिचय करवाया था। बाद में उनको राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और फिर राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बनाकर आगे किया। इस दौरान आकाश ने कई राज्यों में संगठन का काम किया। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले आकाश को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और यूपी चुनाव में उतारा। यूपी में आकाश की कई सभाएं हुईं। उसी दौरान सीतापुर में एक रैली के दौरान आपत्तिजनक टिप्पणी पर एफआईआर हुई तो आकाश को उत्तराधिकारी और राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया। लोकसभा चुनाव के बाद उनको फ़िर से बहाल कर दिया।आकाश और अशोक की करीबीतब से आकाश लगातार पार्टी का काम कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले आकाश आनंद की शादी भी मायावती ने धूमधाम से की। उनकी शादी पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी अशोक सिद्धार्थ की बेटी के साथ हुई। अशोक सिद्धार्थ 2008 से पार्टी में हैं और मायावती के काफी विश्वसनीय रहे हैं। यही वजह है कि आकाश आनंद को पार्टी में लॉन्च किया तो अशोक सिद्धार्थ और पूर्व सांसद रामजी गौतम को उनके साथ दूसरे राज्यों में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। हाल ही में जब अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाला गया तो मायावती के इस फैसले ने सभी को चौंका दिया। अब चार दिन बाद अपने भतीजे को चेतावनी देकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।आखिर क्यों दी चेतावनी?दरअसल अशोक सिद्धार्थ और राम जी गौतम के दो वरिष्ठ पदाधिकारी हैं। दोनों मायावती के काफी विश्वसनीय रहे हैं। इनके पास कई राज्यों का प्रभार रहा है। इस बीच जब आकाश आनंद को राजनीति में उतारा तो इन दोनों पदाधिकारियों को ही उनके साथ लगाया। इनसे उम्मीद यह थी कि वे आकाश को परिपक्व राजनीतिज्ञ बनाएं। लेकिन आकाश आनंद लोकसभा चुनाव में मायावती के उम्मीद पर खरे नहीं उतरे। उनको पद से हटाने के बाद एक बार फिर माफ करते हुए बहाल कर दिया। फिर से दूसरे राज्यों की जिम्मेदारी आकाश को दी गई। इस दौरान आपसी सामंजस्य की कुछ कमी हुई तो रामजी गौतम का कद कुछ कम हुआ। अब आकाश के साथ उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ ही अहम भूमिका निभा रहे थे। इस बीच दिल्ली का चुनाव भी हुआ। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यूपी के अलावा दूसरे राज्यों में बसपा इसलिए चुनाव लड़ती है ताकि वहां संगठन के लोगों को आगे बढ़ाकर कैडर व वोट बैंक को मजबूत किया जा सके। इस बीच दिल्ली चुनाव और दूसरे राज्यों से कुछ शिकायतें मिलीं। इसमें अशोक सिद्धार्थ की भूमिका संदेह के दायरे में आ गई। पार्टी के अंदर ही मजबूत फीडबैक मिलने के बाद उनको पार्टी से निकाल दिया। चूंकि आकाश आनंद अशोक सिद्धार्थ से सलाह लेकर काम करते हैं। ऐसे में उनकी भूमिका और अपरिपक्वता को लेकर कुछ फीडबैक मिला है
MAAYAVATI AKASH ANAND ASHOK Siddharth BSP POLITICAL CHALLENGED
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