माया इज बैक: आगरा रैली में कही 3 बड़ी बात, क्या बदलेंगे BSP के हालात?

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माया इज बैक: आगरा रैली में कही 3 बड़ी बात, क्या बदलेंगे BSP के हालात?
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लखनऊ का ताज पाने के लिए मायावती ने ताजनगरी के मंच से दलितों को स्पेशल ड्यूटी दी है | Vikas0207 UPElections Agra

की शुरुआत की. कहा कि विरोधी पार्टियां और मीडिया हमें बहुत कम आंक रही हैं. हम साल 2007 की तरह दोबारा सत्ता में आ रहे हैं. बीएसपी का चुनाव चिन्ह हाथी है. आपकी आबादी हाथी की तरह विशाल है. इसलिए पार्टी को जिताएं. ऐसे में 3 सवाल उठते हैं. पहला, रैली से क्या मैसेज दिया, दूसरा, मायावती के दावों में कितना दम है. तीसरा, इस चुनाव में वह कहां मात खा रही हैं.

इस चुनाव में मायावती के कम एक्टिव होने को प्रचारित किया गया. कहा गया कि वह बीजेपी की बी टीम हैं. चुनाव बाद उसे ही सपोर्ट कर देंगी. ऐसे में बीएसपी से मुस्लिम वोटर छिटक सकते हैं. बाह्राण वोटर कन्फ्यूजन की स्थिति में है. योगी पर ब्राह्मण विरोधी सरकार होने के आरोप लगते रहे हैं. लेकिन वे सत्ता में बने रहना भी चाहते हैं. कांग्रेस भी कुछ जगहों पर विकल्प के रूप में उभरी है. ऐसे में लगता है कि ब्राह्मण वोटर बंट सकता है. इसका प्रभाव बीएसपी वोट पर भी पड़ेगा.

गैर जाटव की बात करें तो मायावती के गैप को कुछ हद तक चंद्रशेखर आजाद ने भरने का काम किया है.पिछले कुछ सालों को देखें तो दलितों के मुद्दों पर मायावती से ज्यादा चंद्रशेखर आजाद लड़ते दिखे. ऐसे में जाटव को छोड़कर बाकी वोटर्स छिटक सकते हैं. साल 2019 के चुनाव में मायावती को सबसे कम 19.3% वोट मिले. मायावती ने आगरा से चुनाव रैली की शुरुआत की. वहां उनकी बिरादरी के वोट हैं. चमड़े का काम वहां होता है. मायावती उन्हीं सीटों पर फोकस कर रही हैं, जहां पर उनका वोट बेस हैं. वो चाहती हैं कि थर्ड फोर्स न बिखरे. इसलिए पूरे यूपी में घूमने की बजाय जहां जीतने की गुंजाइश ज्यादा है वहां जा रही हैं. मायावती को भरोसा है कि जो उनकी कम्युनिटी है वो साथ रहेगी. बाकी कुछ वोट उम्मीदवार लाएंगे. लेकिन बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है.मायावती को भी इस बात का अहसास है.

मायावती ने 2007 की जीत का जिक्र किया. कहा कि वैसी ही जीत होगी. लेकिन तब स्थिति अलग थी. मुलायम सिंह के खिलाफ लहर थी. लोगों के पास बीएसपी के अलावा बीजेपी और कांग्रेस का विकल्प नहीं था. तब परसेप्शन था कि बीएसपी ही एसपी को हरा सकती है. इसलिए लोगों ने बाकी दोनों पार्टियों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी. अब वैसा ही परसेप्शन एसपी और बीजेपी को लेकर है. पूरे चुनाव में ऐसा नहीं लगा कि मायावती सरकार बनाने के लिए लड़ रही हैं.

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