मीडिया ब्रेकडाउन: मीडिया उनके हाथों में है जिनका काम पत्रकारिता नहीं रहा Media CAAProtest Journalism Police Government मीडिया नागरिकताकानूनप्रदर्शन पत्रकारिता पुलिस सरकार
इस तरह के मैसेज वाले जाने कितने वीडियो देख चुका हूं जिसमें पुलिस लोगों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रही है. दुकानें तोड़ रही है. कार और बाइक तोड़ रही है.
पत्रकार, वीडियोग्राफर और फोटोग्राफर तीनों ऐसे मोर्चों पर होते थे और उनके द्वारा भेजी गईं ख़बरें कहीं न कहीं दिखाई जाती थीं और छापी जाती थीं. भेजते-भेजते आपस में भेजने लगते हैं. एक तरह का सर्किल बन जाता है, जिसका बाहरी दुनिया से संपर्क टूट जाता है. इस स्थिति को मीडिया ब्रेकडाउन कहा जाना चाहिए. अपने चैनल या अखबार के वॉट्सऐप ग्रुप में डालता है लेकिन वहां भी कोई जवाब नहीं आता है. रिपोर्टर किनारा कर लेते हैं. मजबूर होकर कुछ पत्रकार अपने इंस्टाग्राम पर डाल रहे हैं या फिर ट्विटर पर पोस्ट कर रहे हैं.
शनिवार को यूपी के मुज़फ्फरनगर, लखनऊ और बिहार के फुलवारी शरीफ और औरंगाबाद से कई वीडियो आए. लोग पुलिस को घरों और गलियों में घुसते हुए गोलियां चलाते हुए देख आतंकित हुए जा रहे हैं. न्यूज़ चैनल क्या कर रहे हैं? इसमें मैं किसी भी चैनल को अपवाद नहीं मानता. सब एक ही तरह के काम कर रहे हैं. डिबेट कर रहे हैं.
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