मुजफ्फरपुर जिले में 134 जांच अधिकारियों (IO) पर बड़ी कार्रवाई हुई है। इन सभी पर आपराधिक विश्वासघात का आरोप है। ये सभी IO स्थानांतरण के बाद 943 आपराधिक मामलों की फाइलें अपने साथ ले गए थे। इससे कई सालों से पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
मुजफ्फरपुर जिले में 134 जांच अधिकारियों (IO) पर बड़ी कार्रवाई हुई है। एसएसपी राकेश कुमार के आदेश पर इन सभी पर एफआईआर दर्ज की गई है। इन पर आपराधिक विश्वासघात का आरोप है। ये सभी IO स्थानांतरण के बाद 943 आपराधिक मामलों की फाइलें अपने साथ ले गए थे। इस वजह से कई सालों से पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। नगर, सदर, अहियापुर, काजी मोहम्मदपुर, ब्रह्मपुरा, मनियारी समेत आठ थानों में इनके खिलाफ FIR दर्ज हुई है। 134 पुलिस अफसरों पर FIR मुजफ्फरपुर के एसएसपी राकेश कुमार ने 134 पुलिस जांच अधिकारियों के
खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। एक अखबार के अनुसार इन सभी पुलिस अधिकारियों पर आपराधिक विश्वासघात का मामला दर्ज किया गया है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने अपने स्थानांतरण के बाद 943 आपराधिक मामलों की फाइलें अपने साथ ले लीं। इससे सैकड़ों मामलों की सुनवाई अटकी हुई है और पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। कुछ मामले तो 5-10 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। पीड़ित न्याय के लिए थक-हार कर बैठ गए हैं। यह कार्रवाई ज़िले के आठ थानों में हुई है। इन थानों में नगर, सदर, अहियापुर, काजी मोहम्मदपुर, ब्रह्मपुरा और मनियारी थाने शामिल हैं। इस थाने में हुआ बड़ा खुलासा काजी मोहम्मदपुर थाने में 10 साल से ज्यादा पुराने मामलों की फ़ाइलें लेकर गायब हुए कई IO के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इनमें भूनेश्वर सिंह, फुलजेम्स कंडोलना, सरोज कुमार, गोपाल पांडेय, राधाशरण पाठक, देवेंद्र प्रसाद, रामाधार सिंह, विश्वनाथ झा, दिनेश महतो, सुनील कुमार और विजय कुमार सिंह शामिल हैं। इन सभी को कई बार पत्र लिखकर केस फाइल वापस करने के लिए कहा गया, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। बिना जांच पूरी किए ट्रांसफर कैसे? अहियापुर थाने में भी 10 साल से ज्यादा पुराने मामलों की फाइलें लेकर स्थानांतरित हो चुके छह IO के खिलाफ FIR दर्ज हुई है। जिन 134 IO पर 943 केस फाइल लेकर भागने का आरोप है उनमें से ज्यादातर अब रिटायर हो चुके हैं। इन IO को स्थानांतरण के लिए NOC कैसे मिली, यह भी एक बड़ा सवाल है। बिना NOC के दूसरे जिले में इन्हें वेतन नहीं मिल सकता। पेंशन और रिटायरमेंट के पैसे भी नहीं मिल सकते। FIR होने के बाद NOC देने वाले थानेदार भी जांच के दायरे में आ गए हैं। क्योंकि उनके द्वारा NOC देने की वजह से ही मामलों की जांच प्रभावित हुई है। पहले भी हुआ है ऐसा ह
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