भारत सरकार ने चुनाव आचार संहिता में संशोधन करते हुए चुनाव दस्तावेजों के एक हिस्से को आम जनता की पहुंच से रोक दिया है. इस संशोधन के तहत सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फ़ुटेज को सावर्जनिक करने पर रोक लगा दी गई है. विपक्षी दल इस कदम पर सवाल उठा रहे हैं और यह कहते हुए आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार द्वारा चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को कम किया जा रहा है.
लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए थे.केंद्र की मोदी सरकार ने चुनाव आयोग की एक सिफ़ारिश को लागू किया और इसके बाद कांग्रेस समेत विपक्षी दल इस पर सवाल उठा रहे हैं.
बीबीसी ने मामले में बीजेपी के कुछ राष्ट्रीय प्रवक्ताओं से संपर्क किया लेकिन उनकी तरफ़ से इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई.पर लिखा, "मोदी सरकार द्वारा चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को कम करने का नपा-तुला प्रयास संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है और हम उनकी रक्षा के लिए हर क़दम उठाएंगे."चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93 में संशोधन से पहले लिखा था कि 'चुनाव से संबंधित अन्य सभी कागजात सार्वजनिक जांच के लिए खुले रहेंगे.
से चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "मतदान केंद्र के अंदर सीसीटीवी फ़ुटेज के दुरुपयोग को रोकने के लिए नियम में संशोधन किया गया है. सीसीटीवी फुटेज साझा करने से विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जहां गोपनीयता महत्वपूर्ण है. मतदाताओं की जान भी जोखिम में पड़ सकती है. सभी चुनाव पत्र और दस्तावेज़ सार्वजनिक जांच के लिए उपलब्ध हैं.
याचिका का विरोध करते हुए चुनाव आयोग के वकील ने कोर्ट में कहा था कि प्राचा न तो हरियाणा के निवासी हैं और न ही उन्होंने किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा है. ऐसे में उनकी मांग सही नहीं है. विनोद शर्मा कहते हैं, "हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि याचिकाकर्ता को संबंधित डेटा दे दीजिए और इस आदेश के कुछ दिन बाद यह संशोधन किया गया. इसकी टाइमिंग अपने आप में सवाल खड़ा करती है और यह संशोधन संसद से तो पारित नहीं हुआ है. लोग लगातार आयोग के नियमों और फ़ैसलों पर सवाल उठा रहे हैं और अब यह फ़ैसला आ गया."तब चुनाव आयोग पर मतदान संबंधी आंकड़ों को देरी से जारी करने का आरोप लगा था. एक विवाद वोटिंग प्रतिशत को लेकर भी था. लोकसभा चुनाव में कुल वोटों की संख्या की बजाय वोटिंग प्रतिशत जारी किया गया.
शरद गुप्ता का कहना है, "जब सीसीटीवी फ़ुटेज है और आप उसे जारी नहीं करते हैं तो स्वाभाविक है कि लोगों के मन में संदेह पैदा होगा. अगर आप फ़ुटेज नहीं दे रहे हैं तो लोग पारदर्शिता पर तो सवाल ज़रूर उठाएंगे."
INDIA ELECTION COMMISSION MODI GOVERNMENT OPPOSITION ELECTION 2024
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