यूजीसी ने तीन राजस्थानी यूनिवर्सिटीज को पीएचडी कार्यक्रम चलाने से पाँच सालों के लिए रोक लगाई

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यूजीसी ने तीन राजस्थानी यूनिवर्सिटीज को पीएचडी कार्यक्रम चलाने से पाँच सालों के लिए रोक लगाई
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यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) ने राजस्थान की तीन यूनिवर्सिटीज को अखंडता के मुद्दे पर पीएचडी कार्यक्रम चलाने से अगले पाँच सालों के लिए रोक लगा दी है. यूजीसी द्वारा यह कदम उन यूनिवर्सिटीज द्वारा पीएचडी नियमों और शैक्षणिक मानकों का पालन न करने के कारण उठाया गया है.

भारतीय उच्च शिक्षा का नियामक निकाय, यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ( यूजीसी ) ने राजस्थान की तीन यूनिवर्सिटीज को अखंडता के मुद्दे पर पीएचडी कार्यक्रम चलाने से अगले पाँच सालों के लिए रोक लगा दी है. यूजीसी अधिकारियों के अनुसार, इन यूनिवर्सिटीज को पीएचडी नियमों और शैक्षणिक मानक ों का पालन न करने के कारण इस कठोर कदम पर विवश होना पड़ा है. रोक लगाए गए यूनिवर्सिटीज में ओपीजेएस यूनिवर्सिटी, चूरू; सनराइज यूनिवर्सिटी, अलवर और सिंघानिया यूनिवर्सिटी, झुंझुनू शामिल हैं.

यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने कहा कि, 'यूजीसी की स्थायी समिति ने पाया है कि विश्वविद्यालयों ने यूजीसी के पीएचडी नियमों के प्रावधानों और पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए एकेडमिक मानदंडों का भी पालन नहीं किया है. यूनिवर्सिटीज ने डिग्री की अखंडता से समझौता करते हुए पाया गया है और उन्हें अगले पाँच साल के लिए स्टूडेंट्स को नई पीएचडी में एडमिशन लेने से रोक दिया गया है. उन्होंने भावी छात्रों और अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि वे इन यूनिवर्सिटीज द्वारा प्रस्तावित पीएचडी प्रोग्राम में एडमिशन न लें क्योंकि हायर एजुकेशन एंड एंप्लॉयमेंट के उद्देश्य से उनकी डिग्री को मान्यता प्राप्त या वैध नहीं माना जाएगा.यूजीसी ने आवेदन करने से पहले प्रोग्राम और संस्थान की यूजीसी मान्यता स्टेटस वेरिफाई करने की सलाह दी है. यूजीसी की स्थायी समिति ने यह सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है कि पीएचडी डिग्री वास्तविक विद्वतापूर्ण उपलब्धि और अनुसंधान उत्कृष्टता का प्रतीक बनी हुई है. इस संबंध में यूजीसी ने एक सार्वजनिक नोटिस सार्वजनिक डोमेन में प्रकाशित किया है और यूजीसी ने इस फैसले के बारे में यूनिवर्सिटीज को अलग से सूचित भी किया है

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यूजीसी पीएचडी राजस्थान यूनिवर्सिटीज अखंडता शैक्षणिक मानक

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