गोरखपुर में परमहंस योगानंद की जन्मस्थली को एक अंतरराष्ट्रीय अध्यात्म केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. इस केंद्र में योगानंद के जीवन और आध्यात्मिक योगदान को समर्पित चार मंजिला भवन का निर्माण होगा.
गोरखपुर : पूरी दुनिया को योग और अध्यात्म का मार्ग दिखाने वाले परमहंस योगानंद की जन्मस्थली को अब एक अंतरराष्ट्रीय अध्यात्म केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. कोतवाली क्षेत्र के पास स्थित उनके जन्म स्थान पर भव्य योग भवन के निर्माण की प्रक्रिया फरवरी से शुरू होने वाली है. इस 4 मंजिला भवन के लिए 31 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिल चुकी है और साल के अंत तक निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. चार मंजिला इस भवन की प्रत्येक मंजिल योगानंद की जीवन यात्रा और आध्यात्मिक योगदान को समर्पित होगी.
भूमि तल : यहां एक सुंदर लान विकसित किया जाएगा, जिसमें योगानंद की भव्य प्रतिमा स्थापित होगी. यह स्थान पर्यटकों को योगानंद के व्यक्तित्व और दर्शन से परिचित कराएगा. पहली मंजिल : इसमें संग्रहालय और पुस्तकालय बनाया जाएगा. जहां योगानंद के चित्र, उनकी मुद्रा और उनसे जुड़ी बहुमूल्य वस्तुओं का प्रदर्शन होगा. दूसरी मंजिल : यह तल आध्यात्मिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण होगा. यहां वह स्थान संरक्षित किया जाएगा, जहां 131 साल पहले योगानंद का जन्म हुआ था. इस स्थान को मंदिर का स्वरूप दिया जाएगा और पास में एक योग केंद्र भी बनाया जाएगा. तीसरी मंजिल : इसमें दो विशाल हॉल बनाए जाएंगे, जो योगाभ्यास और ध्यान के लिए समर्पित होंगे. यहां आने वाले लोग योग और ध्यान का अनुभव प्राप्त कर सकेंगे. विदेशी पर्यटकों के लिए बड़ा आकर्षण परमहंस योगानंद के शिष्य और भक्त बड़ी संख्या में विदेशों में बसे हुए हैं. उनकी मांग पर गोरखपुर में इस अध्यात्म केंद्र का निर्माण हो रहा है. पर्यटन विभाग को उम्मीद है कि, इससे विदेशी पर्यटकों की संख्या 10 गुना तक बढ़ जाएगी. फिलहाल हर साल 1000- 1500 विदेशी पर्यटक गोरखपुर आते हैं, लेकिन इस परियोजना के पूरा होने पर यह संख्या 10 से,15 हजार तक पहुंच सकती है. अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को मिलेगा नया आयाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में पर्यटन विभाग इस परियोजना को प्राथमिकता दे रहा है. विभागीय उप निदेशक रवींद्र कुमार मिश्र के अनुसार फरवरी में निर्माण कार्य शुरू होगा और साल के अंत तक इसे पूरा कर लिया जाएगा. योगानंद की जन्मस्थली अब सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थान नहीं रहेगी, बल्कि दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए एक तीर्थ स्थल बनकर उभरेगी
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