मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ मेला क्षेत्र में ऐरावत घाट पर हुए कार्यक्रम में कहा कि महाकुंभ आयोजन की स्वच्छता और पवित्रता को देखते हुए यह गंगा के पवित्र जल का प्रतीक है। उन्होंने आस्था को नई ऊंचाई देने पर विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि वर्ष 2017 के पहले यही आयोजन गंदगी का पर्याय बनता था। उन्होंने कहा कि 2019 में मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने 450 लोगों के साथ डुबकी लगाई थी। उन्होंने स्नान के साथ आचमन भी किया है। स्वास्थ्य खराब नहीं हुआ। कुछ लोगों ने दुष्प्रचार का ठेका ले रखा है। इस समय संगम पर 10 हजार 300 क्यूसेक पानी है। यह इतना पवित्र है कि स्नान भी कर सकते हैं और बिना किसी संकोच के आचमन भी कर सकते हैं।
योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ मेला क्षेत्र में ऐरावत घाट पर हुए कार्यक्रम में कहा कि एक वर्ष पूर्व अयोध्या में 500 वर्षों का इंतजार समाप्त करके रामलला का विराजमान होना और 144 वर्षों बाद इस तरह के मुहूर्त में महाकुंभ का होना, ये ईश्वर की कृपा है। उन्होंने कहा कि देश मुस्लिम लीग की मानसिकता से नहीं, भारत की आस्था के अनुरूप चलेगा। हमने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया है। आइन-ए-अकबरी कहती है कि वर्ष 1528 में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भगवान रामलला के मंदिर को तोड़कर एक ढांचा खड़ा किया गया था। ये
सारे काम मीरबाकी ने किए हैं। आस्था को नई ऊंचाई देने से किसने रोका था विपक्ष पर पलटवार करते हुए सीएम बोले, उन्होंने कभी नहीं कहा कि भाजपा ने खुद को महाकुंभ के आयोजन से जोड़ा है। इस आस्था को नई ऊंचाई देने से किसने रोका था। वर्ष 2017 के पहले यही आयोजन गंदगी का पर्याय बनता था। वर्ष 2013 के महाकुंभ में क्या स्थिति थी, मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने गंदगी देख आंखों से आंसू बहाकर दुखी मन से कहा था कि क्या यही गंगा है और वापस चले गए थे। वर्ष 2019 में मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने 450 लोगों के साथ डुबकी लगाई। कहा कि 2019 का कुंभ स्वच्छता के लिए जाना जाता है। कहा कि उन्होंने स्नान के साथ आचमन भी किया है। स्वास्थ्य खराब नहीं हुआ। कुछ लोगों ने दुष्प्रचार का ठेका ले रखा है। इस समय संगम पर 10 हजार 300 क्यूसेक पानी है। यह इतना पवित्र है कि स्नान भी कर सकते हैं और बिना किसी संकोच के आचमन भी कर सकते हैं। मैं खुद करता हूं। यह मेरी आस्था भी है। महाकुंभ के आयोजन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज जिस कार्य का हकदार था, उसको प्राप्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुराणों में पांच हजार वर्ष पहले से उल्लेख है कि संभल में हरिविष्णु का 10वां अवतार कल्कि के रूप में होगा। पांच हजार वर्ष पहले इस्लाम नहीं था। आइन-ए-अकबरी कहती है कि 1526 में श्रीहरिविष्णु मंदिर को तोड़कर ढांचा खड़ा किया गया है। इस गलती को स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्हें खुद से दे देना चाहिए। पूजा स्थल कानून के रिव्यू पर बोले, लगता है कि न्यायालय उसको देख रहा है और देखेगा भी। जामा मस्जिद पर बोले कि दोनों तरह के साक्ष्य हैं। शास्त्रीय प्रमाण और आस्था के साक्ष्य हैं। एक हैं तो नेक हैं, बटेंगे को कटेंगे के बयान पर बोले, इतिहास को उठाकर एक बार झांकेंगे, तब देखेंगे कि बंटे थे तो कटे थे। इतिहास की उस गलती से सबक सीखेंगे तो फिर कभी भी ऐसी नौबत नहीं आएगी कि कोई गुलामी की बेड़ियों के साथ हमें जकड़ पाएगा
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