रविवार को भगवान सूर्य की पूजा बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्य उपासना करने से मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रविवार का दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन को ज्योतिष शास्त्र में बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि इस दिन सूर्य उपासना करने से मान-सम्मान में वृद्धि होती है। ऐसे में सुबह उठकर पवित्र स्नान करें। फिर भगवान सूर्य की विधि अनुसार पूजा करें। फिर उन्हें अर्घ्य दें और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं। इसके बाद सूर्य चालीसा का पाठ करें। आरती से पूजा का समापन करें। रविवार के दिन काले कपड़े न पहनें। इस दिन नमक का सेवन वर्जित माना गया है। इस दिन पीपल के पेड़ के
सामने दीपक नहीं जलाना चाहिए। इस दिन भूलकर भी पिता का अपमान नहीं करना चाहिए। सूर्य चालीसा का पाठ। दोहा। कनक बदन कुण्डल मकर,मुक्ता माला अङ्ग। पद्मासन स्थित ध्याइए,शंख चक्र के सङ्ग। चौपाई। जय सविता जय जयति दिवाकर!।सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!।सविता हंस! सुनूर विभाकर॥ विवस्वान! आदित्य! विकर्तन।मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥ अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते।वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ सहस्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि।मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥ अरुण सदृश सारथी मनोहर।हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥ मंडल की महिमा अति न्यारी।तेज रूप केरी बलिहारी॥ उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते।देखि पुरन्दर लज्जित होते॥ मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर।सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥ पूषा रवि आदित्य नाम लै।हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥ द्वादस नाम प्रेम सों गावैं।मस्तक बारह बार नवावैं॥ चार पदारथ जन सो पावै।दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥ नमस्कार को चमत्कार यह।विधि हरिहर को कृपासार यह॥ सेवै भानु तुमहिं मन लाई।अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥ बारह नाम उच्चारन करते।सहस जनम के पातक टरते॥ उपाख्यान जो करते तवजन।रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥ धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।प्रबल मोह को फंद कटतु है॥ अर्क शीश को रक्षा करते।रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥ सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत।कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥ भानु नासिका वासकरहुनित।भास्कर करत सदा मुखको हित॥ ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥ कंठ सुवर्ण रेत की शोभा।तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥ पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर।त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥ युगल हाथ पर रक्षा कारन।भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥ बसत नाभि आदित्य मनोहर।कटिमंह, र
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