पटना: रोटी और राम के नारे से प्रसिद्ध दलित नेता कामेश्वर चौपाल का निधन के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को एक महत्वपूर्ण दलित नेता का नुकसान हुआ है। ये वही कामेश्वर चौपाल है जिन्होंने राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट रखी थी। ये बीजेपी के नामचीन दलित नेता और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी थे।
पटना: पटना में रोटी और राम के नारे से प्रसिद्ध दलित नेता कामेश्वर चौपाल का निधन के बाद भारतीय जनता पार्टी ( बीजेपी ) को एक महत्वपूर्ण दलित नेता का नुकसान हुआ है। यही कामेश्वर चौपाल थे जिन्होंने राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट रखी थी। उस समय बीजेपी के इस कदम ने पूरे देश के लोगों के समक्ष दलित प्रेम का एक नया रूप प्रस्तुत किया था।\ कामेश्वर चौपाल बीजेपी के नामचीन दलित नेता थे और फिलहाल राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में जाने जाते थे। वे पहली बार विशेष
चर्चा में तब आए जब उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास समारोह में पहली ईंट रखी और प्रथम सेवक कहलाए। दूसरी बार वे विशेष चर्चा में तब आए जब अचानक से उनका नाम उप मुख्यमंत्री के पद के लिए प्रचारित होने लगा और जगह-जगह उनका स्वागत होने लगा।\बीजेपी ने दलित नेता कामेश्वर चौपाल को चुनावी जंग में भी उतारा। भाजपा के सियासी रण में ये प्रमुख भूमिका निभाने वाले दलित नेता के रूप में कामेश्वर चौपाल की पहली जंग रोसड़ा लोकसभा से राम विलास पासवान के खिलाफ लड़ी थी। उन्होंने राम विलास पासवान को कड़ी चुनौती दी पर चुनाव हार गए। 1995 में भाजपा ने कामेश्वर चौपाल को बखरी विधान सभा से भी चुनाव में उतारा, पर यहां भी उन्हें असफलता हाथ लगी। तब भाजपा ने दलित नेता कामेश्वर चौपाल को उच्च सदन यानी विधान परिषद भेजा। 2002 से 2014 तक वे विधान परिषद के सदस्य रहे। 2014 में उन्हें एक बार फिर बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में उतारा। वह सुपौल लोकसभा से कांग्रेस नेत्री रंजीत रंजन के खिलाफ लड़ाई लड़ी पर यहां भी चुनाव हार गए। पर 2.5 लाख वोट पाकर चर्चा में रहे।\मिथिलांचल में भाजपा को लगा धक्काआगामी बिहार विधान सभा चुनाव 2025 के ऐन मौके पर दलित नेता कामेश्वर चौपाल का जाना भाजपा के लिए एक बड़ा सेट बैक है। भाजपा ने एक बड़ा संगठनकर्ता खो दिया। संगठन के माहिर कामेश्वर चौपाल की स्वीकृति तमाम वर्ग और जाति के लोगों के बीच थी। शांत और सरल स्वभाव के कारण भाजपा के भीतर इन्हें ट्रबल शूटर माना जाता था। लेकिन इनकी विशेष पहचान और पहुंच दलित के बीच थी। इनको लेकर तो एक भ्रम भी था कि वे अतिपिछड़ा हैं। ऐसा इसलिए कि चौपाल टाइटल के कारण अतिपिछड़ा इन्हें अपना नेता भी मानते थे। इनका विशेष प्रभाव वाला क्षेत्र पूरा उत्तर बिहार रहा। खासकर मिथिलांचल वाला क्षेत्र। आगामी विधान सभा में भाजपा को कामेश्वर चौपाल की विशेष कमी मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, समस्तीपुर और बेगूसराय जिले के तमाम विधान सभा क्षेत्र पर पड़ेगा
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