फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले में छह और गांवों की जांच रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
रायबरेली में फ़र्ज़ी जन्म जन्म प्रमाणपत्र मामले में छह और गावों की जांच रिपोर्ट सामने आई है. इस जांच रिपोर्ट में भी चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद फिर से प्रशासन के हाथ पांव फूल गए हैं. यूपी पुलिस की एटीएस टीम इस मामले की गहनता से जांच करने में जुटी हुई है, क्योंकि मामला सरकारी दस्तावेज में बहुत बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का जो है.
ये नई रिपोर्ट और पूरा मामला किस ओर इशारा कर रहा है, आइये जानते हैं इस रिपोर्ट में… दरअसल, सितम्बर महीनें मे हुई पांच गावों की जांच रिपोर्ट में कुल बने 19 हज़ार 7 सौ 75 ऑनलाइन जन्म प्रमाणपत्रों में से केवल 230 ही सही मिले थे. बाकी बचे हुए 19 हज़ार 5 सौ 45 जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र फ़र्ज़ी पाए गए थे. वहीं दो दिन पहले आई छह अन्य गावों की जांच रिपोर्ट में 183 सही मिले, जबकि 33410 जन्म प्रमाण पत्र फ़र्ज़ी पाये गए है. इस प्रकार 11 गावों में 53368 प्रमाणपत्रों में केवल 413 ही सही पाए गए. जिन 11 गावों में फ़र्ज़ी प्रमाणपत्र बनाये जाने की आशंका जताई गई थी वह सच साबित हुई और यहां 52955 प्रमाणपत्र फ़र्ज़ी मिले हैं. बता दें कि लगभग छह महीने पहले सलोन ब्लॉक में फ़र्ज़ी जन्म प्रमाणपत्र बनाये जाने का मामला सामने आया था. इस मामले में सभी जन्म प्रमाण पत्र यहां स्थित सहज जनसेवा केंद्र से जारी हुए थे. बाद में सामने आया था कि जनसेवा केंद्र संचालक ज़ीशान और उसका पिता रियाज़ ग्राम विकास अधिकारी की आईडी, पासवर्ड चुराकर फ़र्ज़ी जन्म प्रमाणपत्र जारी करते थे. इस मामले में बीडीओ जितेंद्र सिंह यादव ने सलोन थाने में तहरीर भी दी थी कि उसका आईडी और पासवर्ड चोरी होकर उससे फ़र्ज़ी जन्म प्रमाणपत्र जारी किये गये गये. इस मामले में शासन के निर्देश पर एटीएस जांच करने पहुंची तो जितेंद्र यादव की ज़ीशान के साथ मिलीभगत सामने आयी थी. इसके बाद ही बीडीओ जितेंद्र सिंह समेत ज़ीशान और पिता रियाज़ को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस की जांच में सामने आया था कि सलोन ब्लॉक की 11 ग्राम सभाओं में हज़ारों ऐसे फ़र्ज़ी जन्म प्रमाणपत्र बना दिये गये, जिनका इन गांवों से कभी कोई सम्बन्ध ही नहीं रहा. फिलहाल इस मामले में डीपीआरओ की जांच रिपोर्ट में 52 हज़ार 9 सौ 55 फ़र्ज़ी जन्म प्रमाणपत्र बनाये जाने की पुष्टि हुई ह
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फ़र्ज़ी जन्म प्रमाणपत्र मामले में और गावों की जांच रिपोर्ट सामने आई हैरायबरेली में फ़र्ज़ी जन्म जन्म प्रमाणपत्र मामले में छह और गावों की जांच रिपोर्ट सामने आई है. इस जांच रिपोर्ट में भी चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद फिर से प्रशासन के हाथ पांव फूल गए हैं. यूपी पुलिस की एटीएस टीम इस मामले की गहनता से जांच करने में जुटी हुई है, क्योंकि मामला सरकारी दस्तावेज में बहुत बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का जो है. ये नई रिपोर्ट और पूरा मामला किस ओर इशारा कर रहा है, आइये जानते हैं इस रिपोर्ट में… दरअसल, सितम्बर महीनें मे हुई पांच गावों की जांच रिपोर्ट में कुल बने 19 हज़ार 7 सौ 75 ऑनलाइन जन्म प्रमाणपत्रों में से केवल 230 ही सही मिले थे. बाकी बचे हुए 19 हज़ार 5 सौ 45 जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र फ़र्ज़ी पाए गए थे. वहीं दो दिन पहले आई छह अन्य गावों की जांच रिपोर्ट में 183 सही मिले, जबकि 33410 जन्म प्रमाण पत्र फ़र्ज़ी पाये गए है. इस प्रकार 11 गावों में 53368 प्रमाणपत्रों में केवल 413 ही सही पाए गए. जिन 11 गावों में फ़र्ज़ी प्रमाणपत्र बनाये जाने की आशंका जताई गई थी वह सच साबित हुई और यहां 52955 प्रमाणपत्र फ़र्ज़ी मिले हैं. बता दें कि लगभग छह महीने पहले सलोन ब्लॉक में फ़र्ज़ी जन्म प्रमाणपत्र बनाये जाने का मामला सामने आया था. इस मामले में सभी जन्म प्रमाण पत्र यहां स्थित सहज जनसेवा केंद्र से जारी हुए थे. बाद में सामने आया था कि जनसेवा केंद्र संचालक ज़ीशान और उसका पिता रियाज़ ग्राम विकास अधिकारी की आईडी, पासवर्ड चुराकर फ़र्ज़ी जन्म प्रमाणपत्र जारी करते थे. इस मामले में बीडीओ जितेंद्र सिंह यादव ने सलोन थाने में तहरीर भी दी थी कि उसका आईडी और पासवर्ड चोरी होकर उससे फ़र्ज़ी जन्म प्रमाणपत्र जारी किये गये हैं. इस मामले में शासन के निर्देश पर एटीएस जांच करने पहुंची तो जितेंद्र यादव की ज़ीशान के साथ मिलीभगत सामने आयी थी. इसके बाद ही बीडीओ जितेंद्र सिंह समेत ज़ीशान और पिता रियाज़ को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस की जांच में सामने आया था कि सलोन ब्लॉक की 11 ग्राम सभाओं में हज़ारों ऐसे फ़र्ज़ी जन्म प्रमाणपत्र बना दिये गये, जिनका इन गांवों से कभी कोई सम्बन्ध ही नहीं रहा. फिलहाल इस मामले में डीपीआरओ की जांच रिपोर्ट में 52 हज़ार 9 सौ 55 फ़र्ज़ी जन्म प्रमाणपत्र बनाये जाने की पुष्टि हुई है
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