ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के दौरे के अवसर पर उम्मीद की जा रही थी कि पाकिस्तान के ऊर्जा संकट को हल करने के लिए महत्वपूर्ण समझी जाने वाली ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन के भविष्य के बारे में भी चर्चा होगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, आखिर क्यों?
ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी अपने तीन दिन के पाकिस्तान दौरे के दौरान 23 अप्रैल को कराची में मौजूद थे. यहां उन्होंने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मज़ार पर हाज़िरी दी और पाकिस्तानी जनता से अपने ‘विशेष संबंध’ के बारे में बात की.
याद रहे कि ईरान और इसराइल के बीच हाल के तनाव की शुरुआत इस महीने के शुरू में दमिश्क़ में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर होने वाले कथित इसराइली हमले से हुई.इसकी प्रतिक्रिया में शुक्रवार के दिन ईरान के शहर इस्फ़हान में कथित तौर पर इसराइल की ओर से हवाई हमला किया गया. ना तो इसके बारे में कोई बात प्रधानमंत्री भवन से जारी विज्ञप्ति में सामने आई और ना ही किसी मंत्री या सलाहकार के बयान में इसकी चर्चा हुई.
सन 2013 में बनी पाकिस्तान मुस्लिम लीग की सरकार और सन 2018 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के दौर में इस प्रोजेक्ट में कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई. इस बारे में अमेरिका का कहना था कि ईरान के साथ प्रोजेक्ट पर काम करते हुए पाकिस्तान को भी आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. अंतरराष्ट्रीय मामलों की विशेषज्ञ डॉक्टर हुमा बक़ाई ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि वर्तमान स्थिति में दोनों देशों की ओर से ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट का उल्लेख न करना एक समझदारी भरा क़दम है.
उनका कहना था कि ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट के बारे में दोनों देशों के बीच कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जो अभी हल होने हैं. पाकिस्तान को इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पैसों की ज़रूरत है जबकि ग्वादर में अभी तक इस पाइपलाइन के लिए ज़मीन अलॉट नहीं की गई है. इससे भी बढ़कर यह कि पाकिस्तान को अमेरिका की ओर से प्रतिबंधों का ख़तरा है.
उनका कहना था, ''मेरी राय में यह दोनों देशों की सोची समझी नीति है कि इस प्रोजेक्ट पर समय से पहले कोई बात ना की जाए.''डॉक्टर हुमा बक़ाई कहती हैं कि इस दौरे का इसराइल और ईरान के बीच तनाव से कोई संबंध नहीं है क्योंकि यह दौरा उस समय तय किया गया था जब इस साल की शुरुआत में दोनों पड़ोसी देशों में तनाव पैदा हुआ था.
पूर्व राजनयिक डॉक्टर मलीहा लोधी की भी राय यही है कि ईरानी राष्ट्रपति का यह दौरा हाल के ईरान-इसराइल तनाव से बहुत पहले तय हुआ था. ''और यह पाकिस्तान और ईरान के संबंधों में पैदा होने वाली तल्ख़ी के बाद तय किया गया था.''
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