उद्योगपतियों में मोदी सरकार के डर की बात कहने वाले राहुल बजाज कौन हैं?
जून 1938 में जन्मे राहुल बजाज भारत के उन चुनिंदा औद्योगिक घरानों में से एक परिवार से वास्ता रखते हैं जिनकी भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से काफ़ी घनिष्ठता रही.
राहुल बजाज कमलनयन बजाज के बड़े पुत्र हैं और राहुल के दोनों बेटे, राजीव और संजीव, मौजूदा समय में बजाज ग्रुप की कुछ बड़ी कंपनियों को संभालते हैं. कुछ अन्य कंपनियों को राहुल बजाज के छोटे भाई और उनके चचेरे भाई संभालते हैं. बहरहाल, 1920 के दशक में जिनके 'स्वतंत्रता-सेनानी' दादा ने पूरे परिवार समेत खादी अपनाने के लिए विदेशी कपड़ों को आग लगा दी, उनका पोता कैसे आज़ाद भारत में पूंजीवाद के चर्चित चेहरों में से एक बन पाया! ये कहानी भी दिलचस्प है.अपने पिता कमलनयन बजाज की तरह राहुल बजाज ने भी विदेश से पढ़ाई की.
"यानी जिन परिस्थितियों में अन्य निर्माताओं के लिए काम करना मुश्किल था, उन्हीं परिस्थितियों में बजाज ने कथित तौर पर निरंकुश तरीक़े से उत्पादन किया और ख़ुद को देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बनाने में सफलता हासिल की." राहुल बजाज ने अपने जीवन में जो मुक़ाम हासिल किये हैं, उनका श्रेय वो अपनी पत्नी रूपा घोलप को भी देते हैं.राहुल बजाज ने कहा था कि 1961 में जब रूपा और मेरी शादी हुई तो भारत के पूरे मारवाड़ी-राजस्थानी उद्योगपति घरानों में वो पहली लव-मैरिज थी. रूपा महाराष्ट्र की ब्राह्मण थीं. उनके पिता सिविल सर्वेंट थे और हमारा व्यापारी परिवार था तो दोनों परिवारों में तालमेल बैठाना थोड़ा मुश्किल था. पर मैं रूपा का बहुत सम्मान करता हूँ क्योंकि उनसे मुझे काफ़ी कुछ सीखने को मिला.
वो बताते हैं कि"1992-94 में हुए इंडस्ट्री रिफ़ॉर्म के ख़िलाफ़ भी राहुल बजाज खुलकर बोले थे. उनका तर्क था कि इससे भारतीय इंडस्ट्री को धक्का लगेगा और देसी कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा मुश्किल हो जाएगी."
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