रेलवे के किराए पर सियासत तेज, बीजेपी और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर लगाए आरोप

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कांग्रेस जहां केंद्र सरकार पर आरोप लगाती है तो बीजेपी की ओर से आरोप लगाया गया कि किराया वसूलने का काम कांग्रेस शासित राज्यों में किया गया है.

लॉकडाउन की वजह से राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों को उनके गंतव्य लाने-ले जाने के लिए केंद्र की ओर से चलाए जा रहे श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए किराया वसूलने को लेकर राजनीति शुरू हो गई है.

अब जिन 3 राज्यों ने मजदूरों से पैसा लिया और वे राज्य हैं राजस्थान, महाराष्ट्र और केरल. जिसमें राजस्थान और महाराष्ट्र में तो कांग्रेस की सरकार है तो केरल में वह एक तरह से प्रमोटर्स है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज सुबह जो कुछ कहा उसकी जगह उन्हें कहना चाहिए था कि कांग्रेस शासित राज्य अन्य राज्यों की तरह मजदूरों से पैसा न लें. लेकिन सोनिया इस पर राजनीति करना चाहती हैं.

उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार खाने और ट्रांसपोटेशन आदि पर गुजरात में 100 करोड़ खर्च कर सकती है. इसके अलावा रेल मंत्रालय भी पीएम रिलीफ फंड में दान कर सकता है तो 10 करोड़ रुपये की मदद नहीं कर सकता था.उन्होंने एक पत्र दिखाते हुए कहा कि रेल मंत्रालय का 2 मई का यह पत्र है जिसमें 11वें नंबर पर किराया वसूलने की बात कही गई है. रेलवे निश्चित तौर पर पैसा कमाना चाहता है. सरकार अमानवीय काम कर रही है. आज श्रमिकों के पास 100 रुपये तक नहीं बचे. ऐसे में केंद्र सरकार ने मजदूरों को छलने का काम किया है.

नागपुर से लखनऊ ट्रेन के जरिए आने के लिए 505 रुपये का टिकट लिए जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी ने कहा कि 3 मई को महाराष्ट्र के मंत्री नितिन रावत ने रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि प्रवासियों से कोई किराया नहीं वसूलना चाहिए. रेलवे केंद्र के आधीन आता है न कि राज्य के आधीन. यहां तक कि किराया नहीं वसूलने को लेकर उसकी ओर से किसी तरह की अधिसूचना जारी नहीं की गई.

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