कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि खिलाड़ियों ने टीम इंडिया में एंट्री पाने का नया तरीका ढूँढ लिया है.
भारतीय क्रिकेट टीम के धुरंधरों को अपनी खोई लय हासिल करने के लिए रणजी ट्रॉफी में खेलना चाहिए. यह इन दिनों भारतीय क्रिकेट में बहस का नया मुद्दा बना हुआ है.
रोहित शर्मा ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी में तीन मैच खेले, जिसमें उन्होंने कुल मिलाकर 31 रन बनाए और उनका सर्वाधिक स्कोर 10 रन रहा. न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट सिरीज़ में रोहित ने छह पारियों में महज 91 रन बनाए थे. अतुल वासन कहते हैं, "मेरे हिसाब से चेतेश्वर पुजारा सबसे बेहतर खिलाड़ी हैं क्योंकि वह मैच को बचाते हैं. वह 50-100 गेंद खेलते हैं और 10 रन बनाते हैं क्योंकि यही टेस्ट क्रिकेट की ज़रूरत है. अगर आप ऐसे खिलाड़ी नहीं बनाएंगे तो टी20 के खिलाड़ियों का टेस्ट में यही हाल होगा. रहाणे और पुजारा जैसे खिलाड़ियों की हमारी इस सोसायटी में कीमत नहीं है."
सलामी बल्लेबाज़ केएल राहुल ने पिछला रणजी मैच साल 2020 में खेला था. वहीं विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऋषभ पंत ने अपना पिछला रणजी मैच साल 2017-18 में खेला था. अतुल वासन कहते हैं, "घरेलू क्रिकेट खेलने में खिलाड़ियों को रिस्क लगता है, अगर वह वहां भी फेल हो जाएंगे तो लोग बात करेंगे, कहेंगे देखिए आप तो रणजी में भी रन नहीं बना पाए, लोग आपको जज करने लगते हैं."कप्तानी से लेकर रोहित-कोहली की वापसी तक, भारतीय टीम की बड़ी चुनौती क्या है?हाल के सालों में खिलाड़ियों को आईपीएल से सीधे टीम इंडिया में एंट्री मिली है
हैदराबाद टीम के लिए रणजी खेलने वाले खिलाड़ी और कई मैचों में हैदराबाद की टीम का नेतृत्व कर चुके राहुल गहलोत बताते हैं कि रणजी सीज़न के दौरान मैचों की संख्या के हिसाब से अलग-अलग कैटेगरी के खिलाड़ियों को अलग-अलग फीस दी जाती है. घरेलू क्रिकेट में ऐसे कई खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने अपने प्रदेश और टीम को कई वर्षों तक सेवाएं दी, लेकिन उन्हें भारतीय टीम में चयनित नहीं किया गया. अगर किया भी गया तो उन्हें पर्याप्त मौके नहीं दिए गए. अगर हम इन नामों की चर्चा करें तो सबसे पहला नाम उत्तर प्रदेश के खिलाड़ी आशीष विंस्टन ज़ैदी का आएगा.
इस सूची में पंजाब के गुरशरण सिंह का नाम भी शामिल है. उन्होंने साल 1992-1993 में पंजाब के रणजी ट्रॉफी जीतने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. तब गुरशरण सिंह पंजाब टीम के कप्तान थे. कहा जाता है बिशन सिंह बेदी के भारतीय टीम में स्पिनर के तौर पर खेलते रहने के कारण राजिंदर गोयल को कभी भारतीय टीम में जगह नहीं मिल पाई. साल 1974-75 में राजिंदर गोयल को वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ टेस्ट सिरीज़ के लिए चुना गया था लेकिन उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिल पाई थी.
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