रोहिंग्या: मानवाधिकारों के उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्र ने की म्यांमार की निंदा
Image captionसंयुक्त राष्ट्र महासभा ने म्यांमार में मुस्लिम रोहिंग्या और अन्य अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ मानवाधिकार उल्लंघनों की निंदा करने वाले एक प्रस्ताव को पारित किया है.
म्यांमार, जो पहले बर्मा के नाम से जाना जाता था, ज़ोर देकर कहता है कि वह एक चरमपंथी ख़तरे का सामना कर रहा था. संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव क़ानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होते मगर ये संबंधित विषयों पर दुनिया के विचारों को दर्शाते हैं. इस महीने की शुरुआत में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सांग सू ची ने म्यांमार के ख़िलाफ़ लाए गए इस मामले को"आधा-अधूरा और ग़लत" बताया था.
रोहिंग्या मुसलमानों के उत्पीड़न की समस्या काफ़ी पुरानी है. मगर 2017 में म्यांमार की सेना ने रखाइन राज्य में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान शुरू किया था. 10 रोहिंग्या पुरुष और लड़कों की हत्या के मामले में जेल में बंद म्यांमार के सात सैनिकों तो इस साल मई में सज़ा पूरी होने से पहले रिहा किया गया था. म्यांमार का कहना था कि उसने सिर्फ़ 'रोहिंग्या आतंकवादियों' के ख़िलाफ़ अभियान चलाया था. सेना पहले भी कहती रही है कि उसने कुछ ग़लत नहीं किया.सैन्य अभियान शुरू होने के बाद से लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार छोड़ना पड़ा है.
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