लक्ष्मणगंज में प्राचीन बावड़ी का पता चलता है

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लक्ष्मणगंज में प्राचीन बावड़ी का पता चलता है
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लक्ष्मणगंज में एक प्राचीन बावड़ी का पता चला है। एक सनातन सेवक संघ के पदाधिकारी ने डीएम को प्रार्थनापत्र देकर यह दावा किया था। डीएम के आदेश पर तहसील और पालिका की टीम ने खोदाई शुरू की। खोदाई में दीवारें, कमरों जैसी आकृति और एक लंबा गलियारा सामने आया है। अब सीढ़ियों का पता चलने के बाद जेसीबी के स्थान पर श्रमिकों से खोदाई जारी है।

लक्ष्मणगंज में 17 दिसंबर को खंडहर नुमा प्राचीन मंदिर मिला था। इसे 150 वर्ष पुराना बांकेबिहारी मंदिर बताया गया था। शनिवार को संपूर्ण समाधान दिवस में सनातन सेवक संघ के पदाधिकारी ने डीएम को प्रार्थनापत्र देकर लक्ष्मणगंज के ही एक प्लॉट में प्राचीन बावड़ी होने का दावा किया था। डीएम के आदेश पर तहसील और पालिका की टीम ने मौके पर पहुंच कर बताई गई जमीन पर खोदाई शुरू कराई। एक घंटे की खोदाई में दीवारें दिखने लगीं तो नीचे बावड़ी होने की बात को मजबूती मिली। इसके बाद रविवार को दूसरे दिन खोदाई में कमरों जैसी

आकृति मिली। लंबा पक्का गलियारा भी सामने आया, जिससे जुड़े लंबे रास्ते को सुरंग की राह माना जा रहा है। सोमवार की खोदाई में सीढ़िया नजर आने पर उस जगह जेसीबी के स्थान पर श्रमिकों को लगाया गया। मौके पर मौजूद अधिकारी ने कहा कि जेसीबी को मिट्टी उठाने तथा अन्य स्थान पर खोदाई में लगाया गया है। सीढ़ियों व इससे जुड़े प्राचीन भवन के मूल स्ट्रक्चर को नुकसान न पहुंचे, इसलिए इस स्थान पर श्रमिकों से खुदाई कराई जा रही है। शाम को अंधेरा होने पर खोदाई रोक दी गई। ईओ कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि धीरे-धीरे मिट्टी हटाई जा रही है। आज मिलीं सीढ़ी बावड़ी में पानी के स्रोत तक जाने का रास्ता हैं या इसके आगे कोई भवन है, और खोदाई से स्पष्ट होगा। मंगलवार को भी खोदाई का कार्य किया जाएगा। राजपरिवार अपने व सैनिकों के लिए प्रयोग करता था यह परिसर यह स्पष्ट हो चुका है कि पुराने दौर में यह स्थान बिलारी की सहसपुर स्टेट की मिलकियत थी। इस संपत्ति पर काबिज हुए स्टेट परिवार की रिश्तेदार शिप्रा गेरा ने मीडिया को बताया कि राजशाही के दौर में इस स्थान का प्रयोग सैनिकों के लिए किया जाता था। सहसपुर (बिलारी) से अब बदायूं जिले में आने वाले स्टेट के नियंत्रण वाले गांवों तक जाते समय सैनिक चंदौसी में रुकते थे। राज परिवार भी अपनी यात्रा के बीच यहां रुकता था। गर्मी में तपिश से बचने के लिए बावड़ी के आसपास के इस भूमिगत परिसर को उठने-बैठने के लिए इस्तेमाल करते थे। तब सैनिक यहां बने गलियारों में मौजूद रहते थे। सबसे पहले खग्गू सराय में मिला बंद मंदिर संभल के मुस्लिम बाहुल्य इलाका खग्गू सराय में 46 वर्षों से बंद ऐतिहासिक शिव मंदिर मिला। इसके बाद वहां पूजा शुरू हो गई। मंदिर मिलने के बाद पूरे इलाके की सफाई करवाई गई थी। प्रशासन को यह मंदिर

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