लैंड फॉर जॉब घोटाले में आरके महाजन के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी

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लैंड फॉर जॉब घोटाले में आरके महाजन के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी
लैंड फॉर जॉबआरके महाजनलालू यादव
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लैंड फॉर जॉब घोटाले में पूर्व आईएएस अधिकारी आरके महाजन के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मिली है। इस घोटाले में लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों के करीबी आरके महाजन के शामिल होने के आरोप हैं।

लैंड फॉर जॉब मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के साथ कई अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है। इनमें से कई पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल गई है, लेकिन कुछ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मिलने में देरी हुई है। इनमें से एक नाम पूर्व आईएएस रजनीश कुमार महाजन यानी आरके महाजन का भी है। काफी जद्दोजहद के बाद 30 जनवरी को इनके खिलाफ केस चलाने की मंजूरी मिली है। आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? सीबीआई क्यों सीधे मुकदमा नहीं चला सकती? आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने वाले

हैं। पहले जानिए आखिर आरके महाजन हैं कौन? बिहार कैडर के IAS अधिकारी आरके महाजन लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों के करीबी रहे हैं और कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। सीबीआई ने रेलवे के लैंड फॉर जॉब घोटाले में आरके महाजन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी। मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले आरके महाजन उस समय लालू यादव के निजी सचिव थे जब ये घोटाला हुआ। तब वे रेल भवन में जन शिकायत कोषांग के कार्यकारी निदेशक की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे। सीबीआई का कहना है कि घोटाले में आरके महाजन की महत्वपूर्ण भूमिका थी। वे लालू यादव के अवैध कार्यों में शामिल थे। सुप्रिम कोर्ट के फैसलों का हवाला सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में आदेश दिया है कि सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सिर्फ शिकायत के आधार पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। उसके लिए सक्षम अधिकारियों की अनुमति लेना अनिवार्य है। अगर वह केंद्र सरकार का कर्मचारी है, तो उसे केंद्र से अनुमति की जरूरत होगी। जैसे आरके महाजन के मामले में गृह मंत्रालय से अनुमति लेना अनिवार्य था। लेकिन कई तकनीकी वजहों से उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं मिल पा रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अधिकारियों को नियमित रूप से बार-बार तलब करने को लेकर देशभर की अदालतों को नसीहत दी थी। अदालत ने कहा है कि अधिकारियों को रूटीन में कोर्ट नहीं बुलाया जाना चाहिए। बहुत ही सीमित परिस्थितियों में ऐसा किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट भी सरकार पर दबाव बनाने के लिए बार-बार अधिकारियों को तलब नहीं कर सकते। उन्हें विशेषाधिकार मिला हुआ है कि जब तक सक्षम प्राधिकरण की मंजूरी न हो, तब तक उनके खिलाफ न तो केस चला सकते हैं और न ही उन्हें तलब किया जा सकता है। इसलिये सीबीआई को लैंड फॉर जॉब मामले में काफी पापड़ बेलने पड़े हैं। 30 जनवरी को मिली मंजूरी इससे पहले 30 जनवरी को कोर्ट ने दो पूर्व अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दी थी। इसमें एक पूर्व आईएएस अधिकारी आर के महाजन भी शामिल हैं। घोटाला उस समय का है, जब लालू यादव यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे। आरोप है कि 2004 से 2009 के बीच भारतीय रेलवे के अलग-अलग जोन में ग्रुप डी के पदों पर कई लोगों की नियुक्ति की गई और बदले में इन लोगों ने अपनी जमीनें तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव के परिवार के सदस्यों और उनकी संबंधित कंपनी एके इंफोसिस प्राइवेट लिमिटेड के नाम कर दीं। अब इस मामले की सुनवाई सुनवाई 17 फरवरी को होगी

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