Parwal Farming: युवा किसान लक्ष्मीकांत मौर्य बताते हैं कि छान विधि से उन्होंने परवल अपने खेत में लगाया. इसमें उनको 3 गुना लाभ मिला. फिर क्या था लक्ष्मीकांत मौर्य मुंबई की डगर भूल गए और अपने गांव में ही रहकर खेती पर ध्यान देने लगे.
सुशील सिंह/मऊ: पारंपरिक खेती से हट कर किसान और नौजवान आजकल ऐसी खेती की तरफ मुड़े हैं, जिससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है. कोरोना काल में जब सभी की नौकरियां छिन गई. उस समय लक्ष्मीकांत मौर्य एक ऐसी खेती की तरफ मुड़े, जिससे वो घर बैठे लाखों कमा रहे हैं. मऊ जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर स्थित बड़रांव गांव निवासी लक्ष्मीकांत मौर्य बताते हैं कि कोरोना काल में हुए लॉक डाउन के पहले वह मुंबई में रह कर वायरिंग का काम करते थे.
छान विधि से कर रहे परवल की खेती युवा किसान लक्ष्मीकांत मौर्य बताते हैं कि छान विधि से उन्होंने परवल अपने खेत में लगाया. इसमें उनको 3 गुना लाभ मिला. फिर क्या था लक्ष्मीकांत मौर्य मुंबई की डगर भूल गए और अपने गांव में ही रहकर खेती पर ध्यान देने लगे. उन्होंने ऑर्गेनिक और रासायनिक खादों का प्रयोग करते हुए 10 बिस्वे खेत में परवल लगाया. इससे उन्हें लगभग तीन गुना लाभ हुआ. लक्ष्मीकांत बताते हैं कि 10 बिस्वे के लिए उन्हें कुल 40,000 रुपए खर्च करने पड़ते हैं, जिसमें उन्हे लागत का तीन गुना लाभ मिल जाता है.
Method Of Cultivation Cultivation By Filtration Mau News Local 18
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