लेखक राजीव डोगरा का खुद कहना है कि दुनिया की 80 फीसदी आबादी किसी ना किसी रूप में शक्तिशाली शासकों के तहत आती है। वो अपने रोमानिया के दिनों को याद करते हुए वहां के तानाशाह के निकोले चाउसेस्कु अनुभवों को याद करते हुए किताब में लिखते हैं कि वहां उस दौरान लोग अपनी छाया से भी घबराते...
नई दिल्ली: 'चूंकि प्यार और डर एक साथ नहीं मौजूद सकते, अगर हमें उनमें से किसी एक को चुनना पड़े, तो प्यार से डरना कहीं ज़्यादा सुरक्षित है।' मैकियावेली की किताब 'द प्रिंस' में कही ये बात आज की दुनिया की सच्चाई है। दुनिया ऐसे नेताओं को चुन रही है, जिनसे वो डर सकें। पूर्व एंबेसडर रहे राजीव डोगरा की नई किताब Autocrats...
दुनिया का एक बड़ा हिस्सा ऐसे लार्जर दैन लाइफ का आभामंडल रखने वाले शासकों की मौजूदगी को स्वीकारने के लिए मजबूर है।लेखक राजीव डोगरा का खुद कहना है कि दुनिया की 80 फीसदी आबादी किसी ना किसी रूप में शक्तिशाली शासकों के तहत आती है। हालांकि किताब में डोगरा लिखते हैं कि इतिहास में इस तरह के कई उदाहरण रहे हैं जो ये बताने के लिए काफी हैं कि कैसे तानाशाही शासन और उसकी पद्धतियों को लेकर जनता को कंडिशन किया जाता है। वो अपने रोमानिया के दिनों को याद करते हुए वहां के तानाशाह के निकोले चाउसेस्कु अनुभवों को याद...
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