आर्थिक सर्वे 2024-25 में चेतावनी दी गई है कि भारत को 2047 तक 'विकसित भारत' बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वित्तीयकरण की बढ़ती भूमिका से बचना होगा. यह प्रक्रिया वित्तीय बाजारों के प्रभाव को नीति और अर्थव्यवस्था पर अधिक बढ़ावा देने की है.
नई दिल्ली. भारत को 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वित्तीयकरण की बढ़ती भूमिका से बचना होगा, जो कि वित्तीय बाजारों के प्रभाव को नीति और अर्थव्यवस्था पर अधिक बढ़ावा देने की प्रक्रिया है. यह चेतावनी आर्थिक सर्वे 2024-25 में दी गई है. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि विकसित देशों में वित्तीयकरण के कारण सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का कर्ज असामान्य रूप से बढ़ गया है, जो कुछ मामलों में तो नजर आता है, लेकिन कुछ कर्ज तो ऐसे होते हैं जो निगरानी में नहीं होते.
ये भी पढ़ें- भारत बढ़ रहा दुनिया का भरोसा, 8 महीने में आया 5 लाख करोड़ का निवेश, सबसे ज्यादा किस सेक्टर को मिला? मुद्रास्फीति और बैंकिंग क्षेत्र पर सकारात्मक संकेत सर्वे में बताया गया कि अक्टूबर-नवंबर 2024 के दौरान सिस्टम में तरलता की स्थिति सकारात्मक रही और बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत है. बैंकों की लाभप्रदता में सुधार हुआ है और जमा और ऋण के बीच अंतर कम हो गया है. इसके अलावा, वित्तीय क्षेत्र में कई बदलाव हो रहे हैं. पहले, उपभोक्ता ऋण का हिस्सा कुल बैंकों के ऋण में बढ़ा है.
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