विकास दर को बढ़ाने के लिए बजट में निवेश पर फोकस, वित्त सचिव का दावा

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विकास दर को बढ़ाने के लिए बजट में निवेश पर फोकस, वित्त सचिव का दावा
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वित्त एवं राजस्व सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा कि यह बजट खपत पर ही नहीं, बल्कि निवेश पर भी ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने विकास दर को बढ़ाने के लिए बजट में किए गए प्रयासों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि तीन करोड़ टैक्सपेयर्स को इस बजट से लाभ होगा और ये लोगों की खपत को बढ़ाएगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने राजस्व का बलिदान दिया है और लोगों को राहत दी है।

जागरण, नई दिल्ली। वित्त एवं राजस्व सचिव तुहिन कांत पांडे मानते हैं कि यह बजट पूर्ण रूप से खपत पर आधारित नहीं है, बजट में निवेश का भी ख्याल रखा गया है। विकास दर को बढ़ाने के भी प्रयास किए गए हैं। यह एक संतुलित बजट है। पेश हैं दैनिक जागरण के सहायक संपादक राजीव कुमार से खास बातचीत के अंश...

सवाल: एक लाख करोड़ का टैक्स मध्यवर्ग के लिए छोड़ने से अर्थवयवस्था को आगे बढ़ाने में कितनी मदद मिलेगी ? जवाब: एक लाख करोड़ का जो टैक्स बचेगा, वह तीन जगहों पर जाएगा। पहला, लोग बचने वाली राशि की खपत कर लेंगे। दूसरा, पैसा बैंक में जा सकता है। तीसरा लोग निवेश करेंगे। तीनों ही स्थिति में अर्थव्यवस्था को इसका लाभ मिलेगा। सरकार तो निवेश संबंधी वस्तु पर ही खर्च करती है। लोगों को पैसा देने से वे अलग-अलग जगहों पर खर्च करेंगे। अगर उस पैसे को बैंक में डालेंगे तो बैंक के पास जमा बढ़ेगा और बैंक अधिक लोन दे सकेंगे। अगर निवेश करते हैं तो भी अलग-अलग सेक्टर में करेंगे। कोई मकान में निवेश कर सकता है, कोई शेयर बाजार में या फिर किसी अन्य जगह पर। कुल मिलाकर इस फैसले का व्यापक असर होगा। सवाल: अर्थव्यवस्था में कब से इसका असर दिखने लगेगा? जवाब: अगली तिमाही से नए वित्त वर्ष के लिए टीडीएस कटना शुरू हो जाएगा। लोगों को जब निश्चित रूप से पैसे आने की उम्मीद होती है तो वे पुराने पैसे को खर्च करने में नहीं हिचकते हैं क्योंकि आपको पता है कि पैसे आएंगे ही और लोग खर्च करने लगते हैं। सवाल: इस फैसले से इनकम टैक्स से मिलने वाले राजस्व का नुकसान की बात की जा रही है। ऐसा है तो उसकी भरपाई कैसे करेंगे? जवाब: पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन की बढ़ोतरी दर पिछले दो सालों से 19-20 प्रतिशत चल रही है। आगामी वित्त वर्ष में इनकम टैक्स में इतनी बड़ी राहत देने पर भी बढ़ोतरी दर 14 प्रतिशत रहेगी। हमारे इस फैसले से तीन करोड़ टैक्सपेयर्स को फायदा मिला है। अभी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वाले पांच करोड़ लोग सात लाख रुपये से कम आय वाले हैं। मतलब वे पहले से ही टैक्स देने की श्रेणी से बाहर है। तीन करोड़ लोग टैक्स दे रहे हैं और अब इनमें से एक करोड़ लोगों को भी टैक्स के दायरे से बाहर कर दिया गया है। बचे दो करोड़ तो उन्हें भी टैक्स में छूट की घोषणा का लाभ मिलेगा। फिर भी हम उम्मीद करते हैं तो आने वाले वर्षों में टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़ेगी। लोगों को अपने एनुअल इनफार्मेशन सिस्टम (एआईएस) में दिख रहा है कि उन पर टैक्स बन रहा है या नहीं, इससे भी टैक्स का दायरा बढ़ाने में मदद मिलेगी। फ्रिंज बेनेफिट टैक्स के स्ट्रक्चर के जो पुराने नियम हैं, वहीं लागू रहेंगे। उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। सवाल: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार विकसित भारत बनने के लिए आठ प्रतिशत की विकास दर कैसे हासिल होगी? जवाब: अभी जो वैश्विक हालात हैं, उनमें आठ प्रतिशत की विकास दर हासिल करना बहुत आसान नहीं है। जब विश्व प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है तो हम भी प्रभावित होंगे। सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं। ऐसे में 6.5 प्रतिशत की विकास दर को जारी रखना भी चुनौती भरा है और इस 6.5 प्रतिशत को आगे ले जाना और भी चुनौतीपूर्ण है। इस विकास दर के साथ भी हम दुनिया में सबसे तेज गति से विकास करने वाले देश बने हुए है। बजट में विकास दर बढ़ाने के लिए हमने चार इंजन- कृषि, एमएसएमई, निवेश और निर्यात पर फोकस किया है। गत जुलाई में पेश बजट में रोजगार संबंधित कई घोषणाएं की गई थी और वे सभी जारी रहेंगी। विकास दर बढ़ाने के लिए अभी हमें अपने सभी प्रकार के संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल करना होगा। सवाल: इस बार पूंजीगत खर्च के मद में खास बढ़ोतरी नहीं हुई जबकि पूंजीगत खर्च से विकास की गति मिलती है? जवाब: ऐसा नहीं है। इस बार राज्यों को पूंजीगत संपदा के सृजन के लिए दी जाने वाली राशि को मिलाकर पूंजीगत खर्च के मद में कुल 15.48 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जो कि चालू वित्त वर्ष से 17 प्रतिशत अधिक है। 11.5 लाख करोड़ केंद्र सरकार का पूंजीगत खर्च है और 4.27 लाख करोड़ राज्यों में पूंजीगत संपदा के निर्माण के लिए केंद्र की तरफ से दिए जाएंगे। इसका उपयोग भी पूंजीगत संपदा के सृजन में होगा। सवाल: टैक्स को बढ़ाने के लिए क्या उपाय किए गए हैं, क्योंकि इनकम टैक्स की बढ़ोतरी दर तो धीमी हो जाएगी? जवाब: इस बार तो हमने राजस्व का बलिदान दिया है, लोगों को दे रहे हैं। वैसे भी, लोग किसी न किसी रूप में टैक्स तो देते ही है। जीएसटी भी तो टैक्स ही है।

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