विनायक चतुर्थी एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जो गणेश जी की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है। यह हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार यह 3 जनवरी, 2025 यानी आज के दिन मनाई जाएगी। जो लोग इस व्रत (Vinayak Chaturthi 2025) को रखते हैं और भगवान गणेश के साथ मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं, उनके घर में कभी धन का अभाव नहीं रहता है। इसलिए सुबह उठें स्नान करें और मां लक्ष्मी के साथ बप्पा को मोदक, खीर, कमल का फूल अर्पित करें।
घी का दीपक जलाएं। फिर लक्ष्मी चालीसा का पाठ और गणेश जी के मंत्रों का जाप करें। आरती से पूजा पूरी करें। इससे आपके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव के लिए बनी रहेगी। लक्ष्मी चालीसा दोहा मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास। मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥ सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार। ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥ सोरठा यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं। सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥ चौपाई सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥ जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा। तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी। जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी। विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी। केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी। कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी। ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता। क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो। चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी। जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा। स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा। तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं। अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी। तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी। मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई। तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई। और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई। ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई। त्राहि- त्राहि जय दुःख निवा
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