आज का शब्द 'विवर्तन', जिसका अर्थ है चक्कर लगाना, घूमना या टहलना। कविता 'परिवर्तन' के अंश प्रस्तुत किए गए हैं, जो परिवर्तन के चक्र, दुख और अस्तित्व पर विचार करते हैं।
' हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- विवर्तन,जिसका अर्थ है- चक्कर लगाना, घूमना, टहलना। प्रस्तुत है सुमित्रानंदन पंत की कविता - परिवर्तन अहे निष्ठुर परिवर्तन ! तुम्हारा ही तांडव नर्तन विश्व का करुण विवर्तन! तुम्हारा ही नयनोन्मीलन, निखिल उत्थान, पतन! अहे वासुकि सहस्र फन! लक्ष्य अलक्षित चरण तुम्हारे चिन्ह निरंतर छोड़ रहे हैं जग के विक्षत वक्षस्थल पर ! शत-शत फेनोच्छ्वासित,स्फीत फुतकार भयंकर घुमा रहे हैं घनाकार जगती का अंबर ! मृत्यु तुम्हारा गरल दंत, कंचुक कल्पान्तर , अखिल...
संसृति का प्रथम-प्रभात, कहाँ वह सत्य, वेद-विख्यात? दुरित, दु:ख, दैन्य न थे जब ज्ञात, अपरिचित जरा-मरण-भ्रू-पात! अह दुर्जेय विश्वजित ! नवाते शत सुरवर नरनाथ तुम्हारे इन्द्रासन-तल माथ; घूमते शत-शत भाग्य अनाथ, सतत रथ के चक्रों के साथ ! तुम नृशंस से जगती पर चढ़ अनियंत्रित , करते हो संसृति को उत्पीड़न, पद-मर्दित , नग्न नगर कर,भग्न भवन,प्रतिमाएँ खंडित हर लेते हों विभव,कला,कौशल चिर संचित ! आधि,व्याधि,बहुवृष्टि,वात,उत्पात,अमंगल वह्नि,बाढ़,भूकम्प --तुम्हारे विपुल सैन्य दल; अहे निरंकुश ! पदाघात से जिनके...
भाषा हिंदी कविता परिवर्तन सुमित्रानंदन पंत शब्द श्रृंखला
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