संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि ये ग़ज़ा में चल रहे युद्ध के दौरान किसी भी अंतरराष्ट्रीय यूएन कर्मचारी की पहली मौत है.
"जब वे ग़ज़ा गए थे, मैंने उन्हें व्हाट्सएप पर संदेश भेजा था - ग़ज़ा में शांति करवा कर लौटना. कभी न कभी ग़ज़ा में शांति तो आएगी पर मेरा भाई वापस नहीं आएगा."
कैसरगंजः बृजभूषण शरण सिंह की जगह उनके बेटे को टिकट देकर कितनी मज़बूत स्थिति में है बीजेपी? 12वीं के बाद वैभव काले ने पूणे स्थित नेशनल डिफ़ेंस एकेडमी जॉइन की. कमिशन के बाद काले जम्मू-कश्मीर राइफ़ल्स रेजिमेंट में तैनात थे. 22 साल सेना की नौकरी के बाद वैभव ने वक्त से पहले रिटायरमेंट ले ली थी. उसके बाद उन्होंने प्राइवेट फ़र्म में काम किया. लेकिन दफ़्तर में बैठकर नौकरी उन्हें भाई नहीं. वे हमेशा फ़ील्ड में जाना चाहते थे.संयुक्त राष्ट्र के अंडर जनरल सेक्रेटरी जिएल्स मिचौ ने ग़ज़ा में वैभव काले की तैनाती को अपने बयान में याद किया है.
संयुक्त ने जो 30 अप्रैल तक के आंकड़े जारी किए हैं. उनके मुताबिक़, अब तक इसराइल हमास युद्ध में कुल 250 सहायताकर्मी मर चुके हैं. सात अक्तूबर 2023 को हमास ने इसराइल पर हमला किया था जिसमें 1200 लोग मारे गए ते और 252 लोंगो को अग़वा कर लिया गया था.
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