शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) की शुरुआत हो गई है और लोग अपने घरों में माताजी की पूजा-पाठ में लगे हुए हैं. उन्हें तरह-तरह के मेवे-मिष्ठान्न भोग के रूप में लगा रहे हैं. हालांकि आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां माता को इन सबसे अलग चाइनीज़ खाने का भोग लगता है.
पूजा-पाठ कोई भी हो, भगवान को इंसान अपनी परिस्थिति के हिसाब से भोग लगाता है. आमतौर पर ये मिठाई-दही, फल और कुछ खास पकवान होते हैं. हाद में इसी भोग को प्रसाद के रूप में लोगों को बांटा जाता है. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां माता को अलग ही किस्म का भोग लगता है, जो आपने कभी नहीं सुना होगा. हमारे देश में आस्था से ऊपर कुछ भी नहीं है. ईश्वर की पूजा भी लोग अपने हिसाब से करते हैं और उन्हें अपनी ही तरह मानकर वही भोग चढ़ाते हैं, जो खुद खाते हैं.
जीविका के लिए उन्होंने खाने-पीने की चीज़ें बेचनी शुरू की और इंडो चाइनीज़ क्यूज़ीन यहां मशहूर हो गया. चूंकि इस जगह पर काली माता का एक मंदिर भी है, ऐसे में उन्हें भी भक्तों ने नूडल्स, चॉप्सी और फ्राइड राइस जैसे चाइनीज़ खाने का भोग लगाना शुरू कर दिया. सुबह और शाम की पूजा के दौरान उन्हें चाइनीज़ फूड ही चढ़ाया जाता है. 60 साल पुराना है ये मंदिर काली माता का ये मंदिर 60 साल पुराना है, जिसे हिंदी-चीनी संस्कृति के मेल के उदाहरण मानते थे.
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