शादी के सीजन में फूलों की मांग में भारी बढ़ोतरी के कारण बाजार में हलचल मची हुई है. ताजे फूलों की कमी और कीमतों में उछाल के कारण ग्राहक कृत्रिम फूलों की ओर रुख कर रहे हैं.
शादी के इस सीजन में फूलों की मांग ने बाजार में हलचल मचा दी है. सजावट के लिए जरूरी फूलों की बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति ने कीमतों को आसमान छूने पर मजबूर कर दिया है. चाहे माला हो, बुके, या वेडिंग डेकोरेशन, हर जगह फूलों की कीमतें दोगुनी, तिगुनी तक बढ़ चुकी हैं. सजावट में फूलों की बढ़ी भूमिका विवाह समारोह में फूलों का उपयोग हर स्तर पर बढ़ा है. मंडप की सजावट, वरमाला, और गाड़ियों की डेकोरेशन के लिए ताजे फूलों की प्राथमिकता अधिक है.
इस बार बाजार में गुलाब, रजनीगंधा, और गेंदे जैसे पारंपरिक फूलों की मांग के साथ, साथ आर्किड और लिली जैसे महंगे फूलों का ट्रेंड भी बढ़ा है. हालांकि, इनकी कीमतें आम लोगों के बजट से बाहर जा रही हैं. कृत्रिम फूलों की बढ़ती मांग ताजे फूलों की बढ़ती कीमतों और उनकी सीमित उपलब्धता के कारण कृत्रिम फूलों की डिमांड भी तेजी से बढ़ रही है. सजावट में कृत्रिम फूलों का उपयोग सस्ता और टिकाऊ विकल्प बन गया है. स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि बाजार में अब हर ग्राहक कृत्रिम और प्राकृतिक फूलों के बीच तुलनात्मक खरीदारी करता नजर आ रहा है. व्यापारी अमन बताते हैं कि फूलों की कीमतें इस सीजन में हर दिन बढ़ रही है. एक सामान्य बुके के लिए जहां पहले 500 रुपये लगते थे, अब वही 1200 रुपये तक पहुंच गया है. वहीं, ग्राहक सुमित ने बताया कि सजावट के लिए आर्किड फूलों की अनुपलब्धता के कारण उन्हें कृत्रिम फूलों से काम चलाना पड़ा. फूलों की कीमतों में उछाल के पीछे आपूर्ति की कमी और बढ़ती मांग है. स्थानीय बाजार में शादी सीजन के दौरान बाहरी राज्यों से फूल मंगाए जाते हैं, लेकिन इस बार ट्रांसपोर्ट और मौसम की चुनौतियों ने भी कीमतों पर असर डाला है. शादी का यह सीजन फूलों के बाजार को नई दिशा दे रहा है. जहां ताजे फूल अभी भी प्राथमिकता हैं, वहीं महंगे दामों और सीमित उपलब्धता ने कृत्रिम फूलों को विकल्प के रूप में स्थापित कर दिया है
फूलों की कीमतें शादी का सीजन कृत्रिम फूल आपूर्ति की कमी कीमतों में वृद्धि
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